AIIMS Delhi eye survey: देश में नेत्र विशेषज्ञों की भारी कमी, लाखों लोग समय पर इलाज से वंचित

AIIMS Delhi Eye Eurvey: देश में नेत्र विशेषज्ञों की भारी कमी, लाखों लोग समय पर इलाज से वंचित
नेत्र विशेषज्ञों की वर्कफोर्स में कमियों पर तत्काल ध्यान देने की मांग
एम्स दिल्ली के सामुदायिक नेत्र चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. प्रवीण वशिष्ठ ने बताया कि भारत में प्रत्येक 65,221 लोगों पर केवल 1 नेत्र रोग विशेषज्ञ उपलब्ध है। जबकि एक विशेषज्ञ के साथ 3 ऑप्टोमेट्रिस्ट की आवश्यकता होती है, वास्तविकता में यह संख्या मात्र 0.85 है। वहीं, केवल 15% सरकारी संस्थानों में ही आंखों का इलाज उपलब्ध है, जबकि 85% निजी क्षेत्र, एनजीओ और कॉरपोरेट द्वारा चलाए जा रहे हैं।
सर्वेक्षण में सामने आई गंभीर कमी
इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी में प्रकाशित एम्स के डॉ. राजेंद्र प्रसाद सेंटर फॉर ऑप्थैल्मिक साइंसेज के सर्वे में लगभग 8,000 नेत्र देखभाल संस्थानों को शामिल किया गया। सर्वे में पाया गया कि देश में प्रशिक्षित विशेषज्ञों की कमी के कारण लाखों लोग समय पर इलाज नहीं पा रहे हैं। देश में प्रति दस लाख लोगों पर औसतन 15 नेत्र रोग विशेषज्ञ और 24 ऑप्टोमेट्रिस्ट हैं, जो मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
क्षेत्रीय असमानताएं और मायोपिया की बढ़ती समस्या
सर्वे में यह भी देखा गया कि तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र जैसे दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में आंखों की देखभाल सेवा बेहतर है, जबकि बिहार, असम और त्रिपुरा जैसे उत्तरी और पूर्वोत्तर राज्य पीछे हैं। दिल्ली एनसीआर में संस्थानों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन ग्रामीण और छोटे राज्यों में यह बहुत कम है। देश में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) तेजी से बढ़ रहा है। 2001 में यह 7% था, 2020 में 20% पहुंच गया और डब्ल्यूएचओ के अनुसार 2050 तक देश की आधी आबादी प्रभावित हो सकती है।
समान गुणवत्ता और सेवाओं की आवश्यकता
डॉ. वशिष्ठ ने कहा कि भारत ने अंधापन कम करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन अगला कदम गुणवत्ता और समानता पर ध्यान देना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हर भारतीय चाहे दिल्ली में रहे या असम के किसी दूरदराज के गांव में, उसे आंखों की देखभाल का समान स्तर मिलना चाहिए। यह सर्वे भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी तरह का सबसे व्यापक सर्वे है, जो वर्कफोर्स की कमी पर तत्काल ध्यान देने की मांग करता है।





