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ट्विन टावर मामला: दो तकनीकी विशेषज्ञों की मांग

ट्विन टावर मामला: दो तकनीकी विशेषज्ञों की मांग

अमर सैनी

नोएडा। सुपरटेक ट्विन टावर मामले में आरोपी प्राधिकरण के अधिकारियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। इस मामले में आरोपी 11 अधिकारियों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं। अब जांच अधिकारी ने आरोपियों के जवाब और अभिलेखों का विश्लेषण करने के लिए शासन से दो तकनीकी विशेषज्ञों की मांग की है। ट्विन टावर निर्माण में आरोपी 11 अधिकारी आठ अगस्त को जांच अधिकारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की एसीईओ सौम्या श्रीवास्तव के समक्ष पेश हुए और अपने बयान दर्ज कराए। उन्होंने करीब एक-एक हजार पन्नों में अपने जवाब दाखिल किए। अब जांच अधिकारी ने शासन को पत्र भेजकर जांच के लिए दो तकनीकी विशेषज्ञों की मांग की है। जांच में तकनीकी विशेषज्ञों की जरूरत बताई गई है, जिसमें जांच अधिकारी ने टाउन प्लानर की मांग की है।

माना जा रहा है कि जांच अधिकारी को जांच में सहयोग के लिए शासन से जल्द ही दो तकनीकी विशेषज्ञ मिल जाएंगे। जिसके बाद इस मामले में जल्द ही जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी। इसके बाद शासन स्तर से ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार की बुनियाद पर बने सुपरटेक ट्विन टावर मामले में शासन द्वारा गठित एसआईटी की जांच के बाद 26 अफसरों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। शासन ने इनमें से 11 अफसरों की जांच 23 मार्च 2023 को ग्रेनो अथॉरिटी के एसीईओ सौम्य श्रीवास्तव को सौंपी थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक जांच के बाद अफसरों को इस मामले में दोषी पाया था और शासन से संस्तुति की थी कि इस मामले की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच कराई जाए। शासन ने एसीईओ की जांच से संतुष्टि जताते हुए उन्हें इस मामले की पूरी जांच करने के निर्देश देते हुए फाइल वापस कर दी। वह ही पूरे मामले की जांच कर रहे हैं।

दो साल बाद भी जिम्मेदारों पर नहीं हुई कार्रवाई

सेक्टर-93ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर में एपेक्स टावर 32 मंजिल और 102 मीटर ऊंचा था। स्यान 29 मंजिल और करीब 95 मीटर ऊंचा था। अवैध रूप से बने इन टावरों को लेकर 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों पर कड़ी टिप्पणी की थी और तीन महीने के अंदर इन्हें गिराने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अन्य औपचारिकताएं पूरी करने के बाद 28 अगस्त 2022 को विस्फोट कर दोनों टावरों को गिरा दिया गया। इन्हें गिराए हुए करीब दो साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक इसके निर्माण के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण के अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। जिसे लेकर सोसायटी के निवासियों और अन्य लोगों द्वारा कई बार सोशल मीडिया पर अभियान चलाए जा चुके हैं।

इन लोगों की भूमिका की जांच ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ द्वारा की जा रही है
● मुकेश गोयल, तत्कालीन प्रबंधक नियोजन (वर्तमान में प्रबंधक नियोजन गीडा)
● ऋतुराज व्यास, तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक नियोजन (यमुना प्राधिकरण से संबद्ध)
● विमला सिंह, तत्कालीन संयुक्त नगर नियोजक (सहायक प्रबंधक यूपीसीडा)
● अनीता, तत्कालीन नियोजन सहायक (सहायक प्रबंधक यूपीसीडा कानपुर)
● एके मिश्रा, तत्कालीन नगर नियोजक (30 जून 2021 को सेवानिवृत्त)
● राजेश कुमार, तत्कालीन विधि सलाहकार (31 मार्च 2020 को सेवानिवृत्त)
● ज्ञान चंद, तत्कालीन विधि अधिकारी (31 मार्च 2020 को सेवानिवृत्त)
● एमसी त्यागी, तत्कालीन परियोजना अभियंता (30 सितंबर 2018 को सेवानिवृत्त)
● प्रवीण श्रीवास्तव, तत्कालीन सहायक वास्तुकार (31 जुलाई 2020 को सेवानिवृत्त)
● बाबूराम, तत्कालीन परियोजना अभियंता (30 सितंबर 2018 को सेवानिवृत्त) 31 मार्च 2019)
● टीएन पटेल तत्कालीन योजना सहायक (सेवानिवृत्त 31 मई 2019)

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