उत्तर प्रदेशराज्य

सुपरनोवा कंपनी दिवालिया घोषित, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का 168 करोड़ है बकाया, 

सुपरनोवा कंपनी दिवालिया घोषित, बैंक ऑफ महाराष्ट्र का 168 करोड़ है बकाया, 

नोएडा। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने सेक्टर 94 में सुपरटेक द्वारा विकसित एक लग्जरी आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना सुपरनोवा के लिए दिवालिया प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने आरोप लगाया है कि रियाल्टर ने 8 अप्रैल 2022 तक 168.04 करोड़ रुपए के ऋण का भुगतान कंपनी की ओर से नहीं किया गया। जिसके एवज में उसने एनसीएलटी में याचिका दायर की थी। इस मामले में अंजू अग्रवाल को आईआरपी नियुक्त किया गया है।
सुपरटेक ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्शियम से 735.58 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता मांगी थी। जिसमें से 150 करोड़ रुपए बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अपने सुपरनोवा नामक प्रोजेक्ट में आवासीय अपार्टमैंट, कार्यालय, रिटेल और लग्जरी होटल के विकास के लिए दिए थे। ये पूरा प्रोजेक्ट 70 हजार वर्गमीटर पर करीब 2326 करोड़ का है।
सुपरनोवा परियोजना 2012 में शुरू की गई थी और यह नोएडा में लॉन्च होने वाली शानदार परियोजनाओं में से एक है। इसके डेवलपर के अनुसार, यह भारत का सबसे बड़ी मिश्रित उपयोग वाली परियोजना है। नोएडा के सेक्टर 94 में स्थित 50 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में फैला है। इस परियोजना में चार टावर हैं स्पाइरा 80 मंजिल का 300 मीटर की ऊंचा। ये भारत का सबसे ऊंचा मिश्रित उपयोग वाला प्रोजेक्ट है। इसके अलावा नोवा ईस्ट, नोवा वेस्ट और एस्ट्रालिस शामिल है।

प्राधिकरण का सबसे बड़ा वाणिज्यिक बकायादार

परियोजना में 2000 से ज्यादा घर खरीदार हैं और इनमें से 1000 को कब्जा मिल गया है। इस परियोजना पर नोएडा प्राधिकरण का 2100 करोड़ रुपए से अधिक का बकाया है। बता दे बैंक ने 14 दिसंबर 2012 को सुपरटेक को 150 करोड़ रुपए का टर्म लोन मंजूर किया। टर्म लोन मार्च 2023 तक 10 साल और 4 महीने की समेकित तिमाही किश्तों में चुकाया जाना था। लेकिन सुपरटेक ये पैसा नहीं दे सका और बड़ा बकायादार हो गया।

बार बार अनुरोध के बाद भी नहीं दिया पैसा


बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बार-बार अनुरोध करने के बाद भी सुपरटेक ने उपरोक्त पैसा जमा किया और नियमों और शर्तों के उल्लंघन किया। इसके अलावा, सुपरटेक ने मंजूरी की शर्तों के तहत अपनी देनदारियां को स्वीकार करते हुए, लीड बैंक के पक्ष में 23 अक्टूबर, 2018 को एक रिशिड्यूलमेंट लेटर भेजा। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 18 जुलाई, 2019 को SARFAESI अधिनियम, 2002 के तहत सुपरटेक को अतिदेय राशि का भुगतान करने का एक लेटर भेजा।

सुपरटेक ने बताया क्यों नहीं चुकाई देनदारी


सुपरटेक ने कहा कि वह दिल्ली के सबसे बड़े डेवलपर्स में से एक है और आर्थिक मंदी, वित्तीय संकट का शिकार है। उसे विगत 20 सालों में न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा), ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण (जीएनआईडीए) और यमुना एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) द्वारा कॉर्पोरेट देनदार को कई आवास और वाणिज्यिक भूखंड आवंटित किए गए थे।हालांकि, 2010-11 के दौरान किसानों के कारण भूमि अधिग्रहण पर भू-स्वामियों की आपत्ति यों को माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में चुनौती दी गई। इस विवाद को 2015 में हल किया गया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि मालिकों और किसानों को अतिरिक्त किसान मुआवजे जैसी शर्तों के अधीन भूमि अधिग्रहण को बरकरार रखा था। इसलिए, 2010 से 2015 तक की अवधि कॉर्पोरेट देनदार के लिए पूरी तरह से प्रतिकूल रहा। इसके परिणामस्वरूप भारी वित्तीय नुकसान हुआ।

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