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Sunder Bhati Gangster Case: नोएडा अदालत का बड़ा फैसला: गैंगस्टर एक्ट में कुख्यात सुंदर भाटी समेत 10 दोषियों को नौ-नौ वर्ष की सजा, आठ रिहा, दो फिर जेल भेजे गए

Sunder Bhati Gangster Case: नोएडा अदालत का बड़ा फैसला: गैंगस्टर एक्ट में कुख्यात सुंदर भाटी समेत 10 दोषियों को नौ-नौ वर्ष की सजा, आठ रिहा, दो फिर जेल भेजे गए

नोएडा, 8 दिसंबर: गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय ने शुक्रवार को गैंगस्टर एक्ट के एक महत्वपूर्ण मामले में कुख्यात अपराधी सुंदर भाटी समेत 10 आरोपियों को 9-9 वर्ष के कठोर कारावास और 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। सजा राशि न भरने पर दोषियों को दो-दो महीने अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इस फैसले को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आपराधिक नेटवर्क और गैंगवार के इतिहास में एक अहम कानूनी कदम माना जा रहा है।

जिन दोषियों को सजा सुनाई गई है, उनमें सुंदर भाटी, सिंहराज, विकास पंडित, योगेश, ऋषिपाल, बॉबी उर्फ शेरसिंह, सोनू, यतेन्द्र चौधरी, अनूप भाटी और दिनेश भाटी शामिल हैं। इनके विरुद्ध दर्ज मामले की सुनवाई लगभग 9 वर्षों तक चली।

जेल अवधि पूरी करने के चलते आठ दोषी रिहा
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इनमें से सिंहराज और ऋषिपाल को छोड़कर बाकी आठ दोषी पहले ही अपनी सजा से अधिक अवधि जेल में बिता चुके हैं, इसलिए उन्हें रिहा किया जाता है। वहीं सिंहराज और ऋषिपाल को शेष सजा पूरी करने के लिए जेल भेजा गया है।

8 फरवरी 2015 का दोहरा हत्याकांड
यह मामला 8 फरवरी 2015 को कासना थाना क्षेत्र की घटना से जुड़ा है, जिसमें नियाना गांव में शादी समारोह से लौटते समय दादूपुर के ग्राम प्रधान एवं सपा नेता हरेंद्र नागर और उनके सरकारी गनर भूदेव शर्मा की गोलियों से हत्या कर दी गई थी। घटना में आरोपी बदमाश जतिन खत्री भी मारा गया था। पुलिस जांच में सामने आया कि स्क्रैप कारोबार, सरिया चोरी और पानी सप्लाई के अवैध वर्चस्व को लेकर हरेंद्र नागर और सुंदर भाटी के बीच पुरानी रंजिश चल रही थी, और हत्या सुपारी देकर कराई गई थी।

घटना के बाद पुलिस ने सुंदर भाटी सहित 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। अप्रैल 2021 में इसी मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी थी, जिसकी अपील हाई कोर्ट में लंबित है। अक्टूबर 2024 में सुंदर भाटी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसके बाद वह दिल्ली में रहने लगा था।

30 वर्षों का अपराध और वर्चस्व का साम्राज्य
सुंदर भाटी का नाम पिछले तीन दशकों से दिल्ली-एनसीआर और पश्चिमी यूपी के अपराध जगत में खौफ के रूप में जाना जाता है। कभी एक साधारण ट्रांसपोर्ट ठेकेदार रहे भाटी ने राजनीति और प्रभावशाली संपर्कों के बल पर सुपारी किलिंग, रंगदारी, कब्जेदारी, फैक्टरी स्क्रैप और सरिया माफिया के नेटवर्क पर विस्तार किया।

2015 में गौतमबुद्धनगर जेल के भीतर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटरों के साथ पुरस्कार वितरण का वायरल फोटो उसके राजनीतिक और प्रशासनिक प्रभाव का प्रतीक माना गया था। उस पर अपने सहयोगी व प्रतिद्वंदी नरेश भाटी की हत्या कराने का भी आरोप लगा था। वह वर्तमान में यूपी पुलिस की 65 कुख्यात माफियाओं की सूची में शामिल है। उसके साथ जुड़े नामों में सिंहराज भाटी, अमित कसाना, अनिल भाटी, रणदीप भाटी और मनोज आसे भी शामिल हैं।

हिंसक गैंगवार की आशंका
2024 में जमानत पर रिहाई के बाद वेस्ट यूपी में फिर से वर्चस्व संग्राम छिड़ने की आशंका बढ़ गई थी। खासतौर पर स्क्रैप और सरिया कारोबार की मार्केट में तनाव बढ़ता दिखा। 2023 में प्रतिद्वंदी गैंग के शूटर अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद माना जा रहा था कि सुंदर भाटी का दबदबा फिर बढ़ रहा है। इसी दौरान कई सहयोगी पुलिस रडार पर आए और संपत्ति जब्त की गई।

हालांकि पुलिस लंबे समय से उसकी गतिविधियों पर सख्त नजर रखे हुए थी, फिर भी वह कई शादी समारोहों और कार्यक्रमों में खुलेआम देखा गया, हालांकि किसी नए अपराध में उसकी प्रत्यक्ष भूमिका नहीं मिली। अब गैंगस्टर एक्ट में मिली नई सजा उसके नेटवर्क पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है।

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