उत्तर प्रदेश : शहीद कमांडो का बुलंदशहर में राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

Bulandshar News (अवनीश त्यागी) : बुलंदशहर में जवान प्रभात गौड़ का शव बुधवार को उनके पैतृक गांव पाली आनंद गढ़ी पहुंचा, तो उनके परिवार में हाहाकार मच गया। शहीद की शवयात्रा में शामिल होने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। कस्बा जहांगीराबाद से उनके गांव पाली आनंद गढ़ी तक 12 किलोमीटर दूर तक शव यात्रा निकाली गई।
सेना के वाहन में रख कर निकाली शहीद की शव यात्रा का लोगों ने फूल वर्षा कर स्वागत किया। डीएम श्रुति, एसएसपी दिनेश कुमार सिंह और सेना के अधिकारियों ने शहीद को पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजली दी। शहीद कमांडो प्रभात गौड़ का शव गांव में पहुंचते ही भारत माता के जयकारों से क्षेत्र गूंज उठा।
जम्मू-कश्मीर में आतंकी मुठभेड़ में शहीद बुलंदशहर के कमांडो प्रभात गौड़ का पार्थिव शरीर पाली आनंद गढ़ी गांव लाया गया। सेना के वाहन के पीछे-पीछे तिरंगा लेकर हजारों लोग शामिल हुए। प्रभात सेना में जेसीओ पैरा कमांडो थे। वह 27 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे। दो साल पहले उनकी तैनाती जम्मू-कश्मीर में हुई थी।
शहीद की पत्नी मनोरमा, बेटी सोनिका और बेटा खुशहाल के साथ रहती है। बेटी ग्रेजुएशन करती है जबकि बेटा खुशहाल पढ़ाई कर रहा है। पिता ने बताया कि सोमवार दोपहर सूचना आई थी कि आतंकियों से मुठभेड़ में उन्हें गोली लगी। इसमें वह शहीद हो गए। प्रभात के शहीद होने की सूचना मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। पत्नी मनोरमा बेहोश हो गई।
शहीद प्रभात के घर आसपास के गांवों से एक हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ पहुंच गई। जगह न मिलने पर लोग छतों पर चढ़ गए। बुलंदशहर जिलाधिकारी श्रुति और एसएसपी दिनेश कुमार सिंह शहीद के पैतृक गांव पहुंच गए हैं। दोनों अफसरों व सेना के अधिकारियों ने शहीद के पिता और परिजनों को सांत्वना दिया।
भतीजे हिमांशु ने बताया कि वह मेरे पिता समान थे। बहुत हिम्मती इंसान थे। अपनी परेशानी किसी से शेयर नहीं करते थे। दो दिन पहले ही मेरी उनसे बात हुई थी। बस हाल-चाल ही हो पाया। फिर फोन कट गया। सोमवार को टीवी पर देखा तो पता चला कि आतंकियों से मुठभेड़ में एक कमांडो की मौत हो गई। लेकिन, फोन आने के बाद पता चला वो मेरे चाचा थे।
शहीद के पिता बोले कि 1998 में सेना में भर्ती हुए थे। उन्होंने अमरगढ़ स्थित जवाहर ज्योति इंटर कॉलेज से पढ़ाई की थी। बेटे का अंतिम संस्कार हम अपने खेत में ही करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका सब कुछ चला गया। बड़े भाई राजुल गौड़ ने बताया कि भाई दो साल से श्रीनगर में तैनात थे। पिछले साल दीपावली पर गांव आए थे। 4 दिन पहले वीडियो कॉल पर भाई से बात की थी। पता नहीं था, इतनी जल्दी सबकुछ बिखर जाएगा।