Sawan Shivratri 2025: पूर्वी दिल्ली का प्राचीन शिव गुफा मंदिर बना आस्था का केंद्र, सावन शिवरात्रि पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

Sawan Shivratri 2025: पूर्वी दिल्ली का प्राचीन शिव गुफा मंदिर बना आस्था का केंद्र, सावन शिवरात्रि पर उमड़ा भक्तों का सैलाब
रिपोर्ट: रवि डालमिया
पूर्वी दिल्ली के प्रीत विहार स्थित प्राचीन शिव गुफा मंदिर में इस बार सावन शिवरात्रि के पावन अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुबह से ही मंदिर परिसर में “हर हर महादेव” और “बोल बम” के जयकारे गूंजते रहे। भक्त अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जल, दूध, पंचामृत, बेलपत्र और धतूरा जैसी पूजा सामग्री के साथ भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए मंदिर पहुंचे।
इस ऐतिहासिक शिव मंदिर की विशेषता है कि यहां भगवान शिव को तीन स्थानों पर जल अर्पित किया जाता है। पहले स्थान पर शिव परिवार को, दूसरे पर चलित 111 शिवलिंगों को और तीसरे स्थान पर 15 फीट की गहराई में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में विराजमान शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है। यही कारण है कि सावन शिवरात्रि के दिन यह मंदिर आस्था, भक्ति और अद्वितीय धार्मिक अनुभव का बड़ा केंद्र बन गया है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने विशेष तैयारियां की थीं। कतारों में लंबा इंतजार होने के बावजूद भक्तों में उत्साह की कोई कमी नहीं दिखी। मंदिर प्रबंधन की ओर से पेयजल, प्रसाद वितरण और सुरक्षा की बेहतर व्यवस्था की गई थी, ताकि हर श्रद्धालु को सुगम दर्शन और जलाभिषेक का अवसर मिल सके।
शिवभक्तों के अनुभव इस अवसर को और भी भावुक बना रहे हैं। एक श्रद्धालु ने बताया कि उन्होंने अपनी कांवड़ यात्रा गंगोत्री से शुरू की, फिर केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन करने के बाद हरिद्वार से गंगाजल लेकर दिल्ली के इस प्राचीन शिव गुफा मंदिर में अर्पित कर अपनी यात्रा पूर्ण की। उन्होंने कहा कि इतने पावन स्थलों से जल लेकर भोलेनाथ को अर्पित करना उनके जीवन का सबसे बड़ा आध्यात्मिक अनुभव रहा।
वहीं एक बालक शिव भक्त ने भावुकता के साथ बताया, “मैंने हरिद्वार से गंगाजल लेकर करीब 220 किलोमीटर की यात्रा 11 दिन में पूरी की और आज इस प्राचीन शिव गुफा मंदिर में भोलेनाथ को जल चढ़ाया। यह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है और मैं बाबा भोलेनाथ से प्रार्थना करता हूं कि सबकी मनोकामनाएं पूरी हों।”
प्रीत विहार का यह शिव मंदिर सावन शिवरात्रि के अवसर पर भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक बन गया है। हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने यह प्रमाणित किया कि आस्था कभी थमती नहीं, चाहे रास्ता कितना भी लंबा, कठिन या तप्त क्यों न हो, सच्चे मन से निकले हुए कदम शिव तक जरूर पहुंचते हैं।