सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करेंगे स्वास्थ्य कर्मी
-नेशनल पब्लिक हेल्थ एलायंस ने वीरवार को दिल्ली में किया स्वास्थ्य कर्मचारी सम्मेलन
नई दिल्ली, 19 सितम्बर: नेशनल पब्लिक हेल्थ एलायंस ने वीरवार को दिल्ली में स्वास्थ्य कर्मचारी सम्मेलन का आयोजन किया। इस दौरान सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने की प्रतिज्ञा ली गई।
विजय कुमार ने कहा, आज का दिन इतिहास में सरकार की कर्मचारी दमनकारी नीतियों के लिए जाना जाता है। इस दिन दिनांक 19 सितंबर 1968 को सरकारी कर्मचारी के आंदोलन पर सरकार द्वारा गोलियां चलाई गई थी। जिसमें कर्मचारी शहीद हुए थे काफी कर्मचारी घायल हुए थे। सम्मेलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के विचारों की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसका उद्घाटन नरेश त्यागी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरु तेग बहादुर अस्पताल यूनियन के अध्यक्ष हंसराज ने की और मंच संचालन भारत वीर ने किया। इस अवसर पर संस्था की नई कार्यकारिणी का भी गठन किया गया जिसमें चेयरमैन पद के लिए विजय कुमार और अध्यक्ष पद के लिए भारत वीर को निर्विरोध निर्वाचित किया गया। वहीं, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हंसराज, कोषाध्यक्ष सुधीर सुजाता मखीजा, स्पेशल सचिव पवन कुमार ,कार्यालय सचिव प्रखर मिश्रा भी निर्विरोध निर्वाचित हुए।
इस अवसर पर विजय कुमार ने कहा, 29 श्रम कानूनों में श्रमिक विरोधी बदलाव करके श्रमिकों को अपनी आवाज उठाने, आन्दोलन करने व यूनियन बनाने जैसे हक छीन लिए गए हैं। जो दो चार बातें कानून में कर्मचारियों के हित में हैं वह लागू ही ना हों ऐसी स्थिति बना दी गई है। 10 लाख से ज्यादा पद समाप्त कर दिए गए हैं। भर्तियों पर रोक लगाई गई है जबकि लाखों पद अभी भी रिक्त पड़े हैं। अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित नही किया जा रहा है समय पर वेतन भक्तों का भुगतान नहीं किया जा रहा । बल्कि ठेकेदारी में काम की आउटसोर्सिंग जोरो पर है। स्वास्थ्य क्षेत्र की सेवाओं सहित सरकारी अस्पतालों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) पर दिया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत पैरामेडिकल कर्मचारियों का कैडर रिव्यू नहीं किया जा रहा, विभागीय पदोन्नति (डी.पी.सी) समय पर नही की जा रही हैं और कर्मचारी एक ही पद पर पड़े पड़े सेवानिवृत हो रहे हैं, उनकी कार्य क्षमता नष्ट हो रही है। स्वास्थ्य क्षेत्र में मरीजों के अनुपात अनुसार नए पदों का सृजन नहीं किया जा रहा।