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संपत्ति के साथ स्वास्थ्य की वसीयत भी जरूरी : एम्स

-मरीज के परिजनों के गिल्ट खत्म करने में मदद करेगी हेल्थ विल

नई दिल्ली, 15 अक्तूबर : जैसे धन-दौलत और चल -अचल संपत्ति के उत्तराधिकार के लिए नॉमिनी जरूरी है। वैसे ही स्वास्थ्य देखभाल के बाबत नॉमिनी बेहद जरूरी है। वसीयत से जहां मृत्यु के बाद विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होती। वहीं लाइलाज रोग या दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति के जीवन के अंतिम क्षणों में गरिमापूर्ण फैसला लेने में ग्लानि नहीं होती।

यह बातें एम्स दिल्ली के डॉ भीमराव अंबेडकर रोटरी कैंसर अस्पताल की प्रमुख डॉ सुषमा भटनागर ने मंगलवार को विश्व उपशामक देखभाल और धर्मशाला दिवस पर कही। इस अवसर पर न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ मंजरी त्रिपाठी भी मौजूद रहीं। डॉ सुषमा ने आगे कहा कि कैंसर, न्यूरो और हार्ट संबंधी रोगों से पीड़ित व्यक्ति इलाज के बावजूद अक्सर ऐसे मुकाम पर पहुंच जाते हैं जहां उनका बचना नामुमकिन होता है। ऐसे में उन्हें मौत का सामना तुरंत तो नहीं करना पड़ता। मगर, मौत अवश्यंभावी होती है।

हालांकि, कुछ मामलों में मरीज स्वयं ही अपने लाइलाज रोग और मरणासन्न स्थिति को स्वीकार कर लेते हैं और उसी के अनुरूप जीवन के शेष समय को व्यतीत करते हैं। लेकिन अनेक मामलों में लाइलाज रोग से पीड़ित मरीज का इलाज करने वाले डॉक्टर के साथ मरीज के परिजन भी उसे उसके अंत समय के बारे में बताने से हिचकते हैं, झिझकते हैं। ऐसे मामलों में मरीज को खान -पान के लिए फूड पाइप, मल-मूत्र निकासी के लिए अन्य पाइप व थैली के साथ भयंकर पीड़ा और दुःख की स्थिति से गुजरना पड़ता है। आईसीयू में भी वह कृत्रिम सांसों पर ही जिंदा होता है। ये सब देखना परिजनों के लिए संभव नहीं हो पाता।

डॉ सुषमा ने बताया कि इस संबंध में एम्स दिल्ली एडवांस मेडिकल डायरेक्टिव्स बना रहा है। इसके माध्यम से लोगों में डेथ लिटरेसी लाई जाएगी ताकि वह लाइलाज रोग से पीड़ित व्यक्ति के जीवन का अंत करने का फैसला ग्लानि भाव के बिना कर सके। उन्होंने कहा, अक्सर पीड़ित के परिजन अपने मरीज के दुःख- दर्द व दुर्दशा के मद्देनजर उसे वेंटिलेटर से हटाने या अन्य उपचार बंद करने का फैसला तो ले लेते हैं। लेकिन जीवन भर ग्लानि भाव में डूबे रहते हैं, जबकि उनका फैसला मरीज के हित में ही होता है। उन्होंने कहा, जल्द ही ये डायरेक्टिव्स केंद्र सरकार को सौंपे जाएंगे जिसमें पीड़ित के अंगदान की प्रक्रिया को भी शामिल किया जाएगा।

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