उत्तर प्रदेश, नोएडा: चाइल्ड पीजीआई में जांच और अध्ययन से दुर्लभ रक्त समूह के मरीजों का सटीक इलाज
उत्तर प्रदेश, नोएडा: चाइल्ड पीजीआई में जांच और अध्ययन से दुर्लभ रक्त समूह के मरीजों का सटीक इलाज

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा। बाल चिकित्सालय एवं स्नातकोत्तर संस्थान (चाइल्ड पीजीआई) में जांच और मरीजों के इलाज पर अध्ययन से दुर्लभ रक्त समूह के मरीजों का सटीक इलाज हो सकेगा। शुरुआती परिणाम सकारात्मक रहे हैं। सितंबर में शोध का अंतिम परिणाम आएगा। चाइल्ड पीजीआई में थैलेसीमिया, रक्त कैंसर आदि के 400 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है। इन मरीजों में रक्त समूह ए, बी, एबी, ओ और डी के पॉजिटिव और निगेटिव की जांच के साथ ही इनके दुर्लभ रक्त समूह सी, स्मॉल सी, ई , स्मॉल सी, केईएल सहित अन्य रक्त समूह की जांचनें की सुविधा है। ताकि सिर्फ मुख्य रक्त समूह की जांच के आधार पर ही मरीज का इलाज न करते हुए दुर्लभ रक्त समूह की जांच भी हो सके। इससे इलाज में मरीज को शत प्रतिशत लाभ मिलेगा। गर्भवती महिलाओं की भी दुर्लभ रक्त समूह की जांच से काफी फायदा होगा, क्योंकि इनमें हीमोग्लोबिन सहित रक्त से संबंधित अन्य विकार होने की स्थिति में उनके दुर्लभ रक्त समूह की जांच नहीं की जाती। दुर्लभ रक्त समूह की जांच के बाद उन्हें रक्त चढ़ाने से उनकी सेहत पर काफी जल्द फायदा होगा। दुर्लभ रक्त समूह के मरीजों के इलाज पर चल रहे अध्ययन का नेतृत्व डॉ. अनुपा और डॉ. अक्षय कर रहे हैं। अध्ययन डॉ. सीमा दुआ और डॉ. सत्यम अरोड़ा की देखरेख में चल रहा है। बाल चिकित्सालय के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के प्रमुख डॉ. सत्यम अरोड़ा बताते हैं कि दुर्लभ रक्त समूह की पहचान मरीज का सटीक इलाज में मददगार है। अध्ययन के शुरुआती परिणाम काफी सकारात्मक हैं। यूपी में दो सरकारी संस्थानों में इस तरह की जांच की सुविधा है।
बाल चिकित्सालय में तीन हजार से अधिक लोग करते हैं रक्तदान
बाल चिकित्सालय में रक्त से संबंधित बीमारियों के मरीजों की दुर्लभ समूह की जांच शुरू कर दी गई है। उसी तरीके से उनका इलाज किया जा रहा है। बाल चिकित्सालय में ऐसे मरीजों के इलाज की पूर्ति के लिए 3000 से अधिक रक्तदाता हैं, जिनसे इन मरीजों के रक्त की पूर्ति की जाती है। मरीजों में दुर्लभ रक्त समूह मिलने पर रक्तदाताओं के रक्त की जांच की जाती है। ताकि मरीज को जिस दुर्लभ रक्त समूह की जरूरत है। वही समूह का रक्त मिले और मरीज को दिया जा सके।
ए, बी, एबी और ओ के साथ डी रक्त समूह
ए, बी, एबी, ओ और डी रक्त समूह हैं। डी रक्त समूह 5-10 प्रतिशत लोगों में है। वहीं इनके दुर्लभ रक्त समूह के एंटीजन सी, स्मॉल सी आदि हैं। जो किसी भी रक्त समूह के साथ हो सकते हैं। इनके सटीक इलाज के लिए दुर्लभ रक्त समूह की पहचान बेहद जरूरी है। खासकर गंभीर बीमारियों में बिना इसके मिलान इलाज प्रभावित होता है। परिणाम शत प्रतिशत नहीं मिलते। ऐसे में बाल चिकित्सालय में इस तरह की सुविधा से मरीजों का बेहतर इलाज चल रहा है।
प्रदेश में सिर्फ लखनऊ और नोएडा में यह सुविधा
एडवांस इम्यूनो हेमैटोलॉजी लैब लखनऊ के केजीएमयू और नोएडा के चाइल्ड पीजीआई में है। इसमें दुर्लभ रक्त समूह की जांच की सुविधा है। जिसके आधार पर दुर्लभ रक्त एंटीजेन की मैचिंग की सुविधा मिलती है, जिससे मरीजों की जरूरत के अनुसार उन्हें रक्त उपलब्ध कराया जाता है।
इस तरह की प्रक्रिया अपनाई जाती है
मरीजों और रक्तदाताओं में दुर्लभ रक्त समूह एंटीजेन की पहचान की जाती है। किसी भी नए निदान किए गए थैलेसीमिया रोगी को 5 दुर्लभ रक्त समूह-मिलान वाले रक्त प्रदान किए जाते हैं। यह अनुशंसित अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार है। इससे उन्हें उच्च हीमोग्लोबिन और बेहतर दीर्घकालिक परिणाम प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यहां तक कि चाइल्ड पीजीआई में दान करने वाला कोई भी दाता अपने दुर्लभ रक्त समूह की रिपोर्ट ले सकता है
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