
PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद को किया संबोधित, प्रवासी भारतीयों की विरासत पर जताया गर्व
त्रिनिदाद एवं टोबैगो, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय लोकतंत्र, प्रवासी विरासत और दोनों देशों के साझा ऐतिहासिक संघर्षों पर गर्व व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस “प्रतिष्ठित लाल सदन” में बोलने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बनना उनके लिए गौरव की बात है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद एवं टोबैगो के लोगों की लोकतांत्रिक चेतना, विविधता और महिला नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि देश की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री – दोनों महिलाएं हैं, जो स्वयं को गर्व से प्रवासी भारतीयों की बेटियां कहती हैं। उन्होंने कहा, “उन्हें अपनी भारतीय विरासत पर गर्व है, और यह हर भारतीय के लिए भी गर्व की बात है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के ऐतिहासिक संघर्ष की समानताओं का उल्लेख करते हुए कहा, “हमारे दोनों राष्ट्र औपनिवेशिक शासन की छाया से ऊपर उठे और साहस को अपनी स्याही और लोकतंत्र को अपनी कलम बनाकर अपनी कहानियां लिखीं।” उन्होंने इस बात पर बल दिया कि त्रिनिदाद एवं टोबैगो और भारत केवल ऐतिहासिक संबंधों से नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों, सांस्कृतिक साझेदारी और मानवीय संवेदनाओं से भी जुड़े हैं।
मोदी ने भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने की प्रतिबद्धता जताई और दोनों देशों के लोगों को भविष्य की साझी समृद्धि और सहयोग के लिए प्रेरित किया। उनका यह भाषण न केवल भारत की वैश्विक भूमिका को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे भारतीय प्रवासी दुनियाभर में संस्कृति, मूल्यों और लोकतंत्र के संवाहक बने हुए हैं।
प्रधानमंत्री का यह संबोधन त्रिनिदाद एवं टोबैगो में मौजूद भारतीय मूल के समुदाय के लिए भी भावनात्मक क्षण रहा, जिन्होंने अपने पूर्वजों की मिट्टी से आए एक नेता को अपने वर्तमान में बोलते देखा। यह संबोधन भारत की ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और सशक्त करता है।