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Noida: अखलाक मॉब लिंचिंग केस वापसी पर CPI(M) नेता वृंदा करात ने जताया विरोध

Noida: अखलाक मॉब लिंचिंग केस वापसी पर CPI(M) नेता वृंदा करात ने जताया विरोध

नोएडा। सीपीआई (एम) नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद वृंदा करात सोमवार को सूरजपुर स्थित कोर्ट पहुंचीं और अखलाक मॉब लिंचिंग केस वापसी को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने जिला बार एसोसिएशन के नेताओं से मुलाकात की और मामले की वर्तमान स्थिति की जानकारी ली। वृंदा करात ने सरकार द्वारा केस वापस लेने की प्रक्रिया को न्यायिक व्यवस्था और संविधान की भावना के खिलाफ बताया।

जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमेंद्र भाटी ने बताया कि वृंदा करात खास तौर पर अखलाक मॉब लिंचिंग केस के संबंध में जानकारी लेने आई थीं। अधिवक्ता रूपेश वर्मा के अनुसार, वह करीब दो घंटे तक कोर्ट परिसर में रहीं और अखलाक के वकील से बातचीत कर सरकार की नीति पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि हत्या जैसे गंभीर मामले को वापस लेना पूरी तरह से अनुचित है और सरकार सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है।

कोर्ट परिसर में ऑल इंडिया लॉयर्स यूनियन के नेता गजेंद्र खारी, किसान सभा के जिलाध्यक्ष डॉ. रुपेश वर्मा और बार एसोसिएशन के सचिव अजीत नागर ने वृंदा करात का स्वागत किया।

मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को तय की गई है। बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 की रात को गोमांस सेवन की अफवाह फैलने के बाद एक भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला कर उसे पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस घटना में अखलाक का बेटा दानिश गंभीर रूप से घायल हुआ। अखलाक की पत्नी इकरामन ने दस लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। सरकार ने मामले में धारा-321 के तहत प्रार्थना पत्र दायर किया है, और अखलाक के परिजन व वकील युसुफ सैफी अदालत के फैसले के बाद ही आगे की कार्रवाई का निर्णय लेंगे।

इस घटना ने पूरे देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा किया और बिसाहड़ा गांव सुर्खियों में आ गया। वृंदा करात ने स्पष्ट किया कि ऐसे गंभीर और संवेदनशील मामलों में सरकार का रुख लोकतंत्र और न्यायिक व्यवस्था के खिलाफ है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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