नई दिल्ली, 29 अगस्त : अगर जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण अतिक्रमण को समय रहते नहीं रोका गया तो आने वाले समय में हमें मंकीपॉक्स जैसे और भी प्रकोप देखने को मिलेंगे। यह बातें एम्स दिल्ली के पूर्व निदेशक और इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन, मेदांता के अध्यक्ष डॉ. रणदीप गुलेरिया ने वीरवार को कहीं।
उन्होंने कहा कि मानव जाति को अत्यधिक सुख- सुविधाएं प्रदान करने की इच्छा ने दुनिया को ऐसे रोगों की ओर अग्रसर कर दिया है जो पहले कभी देखे नहीं गए थे। उन्होंने कहा, बीते 24 वर्षों में हमने सार्स और कोविड -19 जैसी महामारियों का प्रकोप देखा है। साथ ही स्वाइन फ्लू (एच1 एन1), जीका, निपाह और मंकी पॉक्स जैसे रोगों का प्रकोप भी देख रहे हैं। ये तमाम रोग जानवरों या पक्षियों से मानव तक पहुंचने वाले रोग हैं, जिनके लिए हम मानव स्वयं जिम्मेदार हैं।
डॉ गुलेरिया ने कहा, हमें सक्रिय निगरानी की आवश्यकता है। ताकि हम किसी भी प्रकोप या किसी भी असामान्यता को जल्दी से पकड़ सकें और उस पर काबू पा सकें। हमने ऐसा तब किया था जब केरल में निपाह वायरस का प्रकोप था। हमारे देश के पास मंकी वायरस को रोकने, निदान करने और प्रबंधित करने के लिए टीम है। इन नए संक्रमणों के लिए दवाओं से लेकर टीकों तक के लिए अनुसंधान जरूरी है जिस पर ध्यान केंद्रित करें जो सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।
डॉ गुलेरिया ने कहा कि हमने रेल, सड़क, सुरंग बनाने के लिए अन्य प्रजातियों पर्यावास की अनदेखी की है। वहीं, विकास के नाम पर ओजोन परत को नष्ट कर दिया है जिससे मौसम बदल रहा है और मौसम बदलने से पशु, पक्षी, मानव आदि सभी प्रजातियों में बदलाव आ रहा है। आधुनिकीकरण व शहरीकरण ने भले ही लोगों के जीवन और यात्राओं को आसान बना दिया है। लेकिन वैश्विक स्तर पर गंभीर रोगों के प्रसार की वजह भी बन रहे हैं। उन्होंने कहा, आज एक देश (कांगो) में फैली संक्रामक बीमारी से संक्रमित व्यक्ति कुछ ही घंटे में यूरोप और वहां से कुछ ही समय में एशिया पहुंच जाता है और जाने -अनजाने समाज में संक्रमण के प्रसार का कारण बन जाता है।