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New Labour Laws India: नए श्रम कानून महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए बड़ी क्रांति: मांडविया

New Labour Laws India: नए श्रम कानून महिलाओं के स्वास्थ्य और अधिकारों के लिए बड़ी क्रांति: मांडविया

नई दिल्ली, 8 दिसम्बर। केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने सोमवार को संसद में कहा कि नई श्रम संहिताएँ महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन सुधारों को लेकर राजनीति और भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि देश की महिला श्रमिकों को सबसे अधिक ताकत मोदी सरकार के नेतृत्व में मिली है।

डॉ. मांडविया ने बताया कि नए श्रम कानूनों के तहत चाय बागानों, बीड़ी उद्योग, कारखानों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिला कामगारों के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई है। काम के दौरान बीमार होने या गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में ईएसआईसी (ESIC) के तहत एक रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक का पूरा इलाज सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 40 वर्ष से अधिक आयु की हर महिला कर्मचारी की नियमित और निशुल्क स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित की जाएगी ताकि गंभीर बीमारियों की समय पर पहचान और उपचार हो सके।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन श्रम संहिताओं ने महिला कामगारों को समान वेतन का अधिकार, मातृत्व लाभ, सुरक्षित कार्यस्थल और शिकायत निवारण तंत्र में उचित प्रतिनिधित्व दिया है। प्रत्येक संस्थान में ग्रीवेंस रीड्रेसल समिति में महिला प्रतिनिधित्व अनिवार्य कर दिया गया है ताकि महिलाएं डर के बिना अपनी समस्याओं और शिकायतों को उठा सकें।

श्रम मंत्री ने बताया कि नए कानूनों में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी राज्य में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित ‘फ्लोर वेज’ से कम न्यूनतम वेतन तय नहीं किया जा सकता। फ्लोर वेज एक राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी मानक है, जो वर्तमान में लगभग ₹178 प्रतिदिन है। यह प्रावधान मजदूरी असमानताओं को कम करेगा और आर्थिक कारणों से मजबूरन होने वाले प्रवास (migration) को रोकने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि जो लोग इन संहिताओं का विरोध कर रहे हैं, वे न तो महिलाओं के दर्द को समझते हैं और न ही उनके सशक्तिकरण को स्वीकार करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार श्रमिकों और महिला कार्यबल के साथ मजबूती से खड़ी है और यह बदलाव देश के औद्योगिक और सामाजिक ढाँचे को सकारात्मक दिशा देगा।

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