नई दिल्ली: समय से पूर्व जन्मे नवजात को प्राकृतिक पोषण देगा ‘पयोधि’
नई दिल्ली: -एम्स दिल्ली के मातृ एवं शिशु ब्लॉक में एनआईसीयू के पास मातृ दुग्ध बैंक का उद्घाटन
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नई दिल्ली, 14 फरवरी : राजधानी में नवजात शिशुओं के प्राकृतिक पोषण के लिए मातृ दुग्ध बैंक ‘पयोधि’ की स्थापना की गई है, जिसका उद्घाटन एम्स दिल्ली में कार्यरत नर्सों और इलाज के लिए भर्ती महिलाओं ने किया। ये सभी महिलाएं नव प्रसूता हैं जिन्होंने एनआईसीयू में भर्ती अनजान शिशु मरीजों के लिए दुग्धदान किया है।
इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रो एम श्रीनिवास, बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख प्रो पंकज हरि, बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो संदीप अग्रवाल, नियोनेटोलॉजी विभाग के प्रो रमेश अग्रवाल और मुख्य नर्सिंग अधिकारी सुमन कश्यप मौजूद रहे। इस अवसर पर बाल चिकित्सा विभाग की साइंटिस्ट और डॉ काजल जैन ने कहा, मातृ दुग्ध बैंक को तकनीकी तौर पर व्यापक स्तनपान प्रबंधन केंद्र (सीएलएमसी) के नाम से जाना जाता है। लेकिन एम्स में इसे ‘पयोधि’ नाम से जाना जाएगा। इस बैंक का मकसद बीमार, समय से पहले पैदा होने वाले और कम वजन वाले बच्चों को दूध पिलाने के लिए सुरक्षित, पाश्चुरीकृत डोनर मिल्क की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
डॉ काजल जैन ने कहा कि मां का दूध, नवजात शिशुओं के लिए अमृत के समान है। यह समय से पहले पैदा हुए बच्चों के विकास और स्वास्थ्य में वृद्धि करता है। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में नवजात शिशुओं की माएं बीमारी या अन्य चिकित्सा कारणों से अपने शिशुओं को दूध नहीं दे पाती हैं। कुछ मामलों में दुर्घटना या अन्य वजहों से जान गंवाने वाली मांओं के शिशुओं को भी प्राकृतिक पोषण नहीं मिल पाता, ऐसे में उन्हें दुग्ध बैंक के जरिये मां का दूध उपलब्ध कराया जाता है। इसे डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक विकसित किया गया है।
एम्स प्रवक्ता डॉ रीमा दादा ने कहा, सीएलएमसी या पयोधि को मातृ एवं शिशु ब्लॉक के प्रथम तल पर स्थापित किया गया है। जहां केवल एम्स में भर्ती बीमार शिशुओं को ही मां का दूध उपलब्ध कराया जाएगा। इसके माध्यम से माताओं को शिशु स्तनपान परामर्श और अधिशेष होने पर दूध दान करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। दान से प्राप्त दूध को पाश्चराइज करके बैंक में स्टोर किया जाएगा और जरूरत पड़ने पर शिशुओं को उपलब्ध कराया जाएगा।
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