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नई दिल्ली: समय पूर्व जन्में शिशुओं के लिए M-NICU प्रणाली वरदान

नई दिल्ली: -एम-निकु के जरिये समय पूर्व जन्में शिशुओं की मृत्युदर में लाई जा सकती है कमी

नई दिल्ली, 28 अक्तूबर : समय से पूर्व जन्म लेने के कारण प्रतिवर्ष 23 लाख शिशुओं की मौत हो जाती है। इन मौतों में कमी लाने के लिए नवजात शिशुओं की संवेदनशील देखरेख के साथ नवजात गहन चिकित्सा इकाई (निकु) में भर्ती नवजात और मां के बीच की दूरी को खत्म करना बेहद जरूरी है। जिसे कंगारू केयर या मातृ -नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एम-निकु) प्रणाली के जरिये खत्म किया जा सकता है।

अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान की डीन और आरएमएल अस्पताल के नियोनेटोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. आरती मारिया ने कहा कि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशु अक्सर बीमार पैदा होते हैं। इनके आंतरिक अंग अल्पविकसित होते हैं जिसके चलते इन्हें निकु या एनआईसीयू में रखना पड़ता है। लेकिन यह अवधि बहुत महत्वपूर्ण होती है चूंकि उस समय नवजात के मस्तिष्क का विकास हो रहा होता है। जन्म के बाद भी यह विकास निरंतर जारी रहता है। मस्तिष्क में बहुत से कनेक्शन बन रहे होते हैं जिससे शिशु सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। अगर ये कनेक्शन सकारात्मक होते हैं तो बीमार शिशु के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार आता है और उसके अल्पविकसित अंगों का विकास भी तेज गति से होता है।

ऐसे में समय पूर्व जन्मे शिशुओं को स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने में ‘एम -निकु यानी मदर – नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट’ एक प्रभावी प्रणाली साबित हो रही है। इसमें शिशु को कंगारू केयर की तरह मां के संपर्क में रखा जाता है। आईसीयू में शिशु के साथ मां भी रहती है और उसे स्तनपान कराने से लेकर स्पर्श थेरेपी प्रदान करती है। इससे पहले संक्रमण के डर से मां को बीमार शिशु से दूर रखा जाता था। लेकिन कई चिकित्सकीय अध्ययनों और एम -निकु प्रणाली ने इस डर को गलत साबित किया है। एम -निकु में शिशु को मां का स्पर्श दिलाया जाता है। इससे शिशु जल्दी स्वस्थ और विकसित होता है। जल्द ही ऐसे यूनिट की स्थापना आरएमएल अस्पताल में की जाएगी।

एम-निकु में क्या करें शिशु की मां ?
समय पूर्व जन्म लेने वाले शिशु के साथ एम-निकु में रहने वाली मां बच्चे के पास बैठकर बातें ना करें। सुनिश्चित करें कि इस दौरान मोबाइल फोन की घंटी ना बजे क्योंकि इस अवधि में शिशु की इंद्रिया विकसित हो रही होती है। शिशु को अपना दूध पिलाएं। उसे प्यार दुलार से अपना स्पर्श प्रदान करें। इस प्रणाली के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं जिससे समय पूर्व जन्मे शिशुओं की मृत्यु दर में कमी लाने में मदद मिली है।

क्या होता है समय पूर्व जन्म ?
एक महिला की सामान्य गर्भावस्था की अवधि औसतन 40 सप्ताह या 280 दिन होती है, लेकिन जो शिशु 37 सप्ताह से पहले जन्म ले लेते हैं उन्हें समय से पूर्व जन्मा शिशु कहा जाता है। ये जन्म तीन श्रेणियों में बांटे जा सकते हैं। अत्यंत समयपूर्व (23-28 सप्ताह), मध्यम रूप से समयपूर्व (29-33 सप्ताह), और लेट प्रीटर्म (34-37 सप्ताह) जन्म। इन शिशुओं को विशेष देखभाल और उपचार की जरुरत होती है जिसके अभाव में कभी -कभी शिशु की मौत भी हो जाती है।

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