
नई दिल्ली, 7 मार्च : हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और पुराने श्वसन रोग जैसे गैर-संचारी रोग (एनसीडी) और तपेदिक की स्क्रीनिंग के लिए पश्चिमी दिल्ली के नानाखेड़ी गांव में शिविर लगाया गया।
इस दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि एनसीडी, जिन्हें पुरानी बीमारियां भी कहा जाता है, वे ऐसी बीमारियां हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सीधे नहीं फैलती हैं। बल्कि आनुवंशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के कारण होती हैं, जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह और पुराने श्वसन रोग। वहीं, तपेदिक एक संक्रामक बीमारी है जो नियमित उपचार से ठीक हो सकती है।
शिविर के संयोजक टीकम यादव ने बताया कि शिविर में डॉ. राजकुमार कमल (सीएमओ, चेस्ट क्लिनिक बिजवासन), डॉ. स्नेहा कुमारी ( सफदरजंग अस्पताल), डॉ. डेजी थॉमस (आरएके कॉलेज ऑफ नर्सिंग), सरिता शोकंदा (आरएके कॉलेज ऑफ नर्सिंग), पूनम गुप्ता और एल. हेमसो खियामनियुंगन को सम्मानित किया गया। शिविर में दो सौ से अधिक लोगों ने उच्च रक्तचाप, मोटापा, कैंसर की मुफ्त जांच, चिकित्सा परामर्श और स्वास्थ्य शिक्षा का लाभ उठाया।
जनभागीदारी – एनसीडी और तपेदिक की रोकथाम सभी की जिम्मेदारी शीर्षक से आयोजित स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन राजकुमारी अमृत कौर कॉलेज ऑफ नर्सिंग के ग्रामीण क्षेत्र शिक्षण केंद्र (छावला) के तहत एमएससी नर्सिंग प्रथम वर्ष के छात्रों (सामुदायिक स्वास्थ्य नर्सिंग विशेषता) द्वारा किया गया। इसमें आरएचटीसी नजफगढ़, सफदरजंग अस्पताल, एनआईटीआरडी, राजीव गांधी कैंसर संस्थान ने भी सहयोग किया।