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नई दिल्ली: मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान में होगी टिश्यू इंजीनियरिंग

नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री ने दिल्ली दंत परिषद मुख्यालय और केंद्रीय टिश्यू बैंक का किया उद्घाटन

नई दिल्ली, 23 सितम्बर : स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने मंगलवार को मौलाना आजाद दंत चिकित्सा विज्ञान (एमएआईडीएस) की बहुमंजिला इमारत में दिल्ली दंत परिषद (डीडीसी) के मुख्यालय और केंद्रीय टिश्यू बैंक का उद्घाटन किया।

डॉ. सिंह ने कहा, मौलाना आजाद दंत चिकित्सा महाविद्यालय में डीडीसी का कार्यालय स्थापित होने से दंत चिकित्सकों को काफी आसानी होगी। उन्हें अपने पंजीकरण से लेकर नीतिगत और प्रशासनिक समस्याओं का हल एक ही छत के नीचे मिल सकेगा। वहीं, केंद्रीय टिश्यू बैंक की शुरुआत होने से हड्डी रोगों से ग्रस्त मरीजों को बोन ग्राफ्ट की सुविधा निशुल्क मिल सकेगी। इस अवसर पर लोकनायक अस्पताल के निदेशक डॉ. बीएल चौधरी, एमएआईडीएस की प्रधानाचार्य डॉ. अरुणदीप कौर लांबा और डीडीसी के रजिस्ट्रार डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

डॉ. ज्ञानेंद्र ने कहा, दिल्ली डेंटल काउंसिल को राजधानी भर में दंत चिकित्सकों के पंजीकरण और नैतिक दंत चिकित्सा पद्धतियों की निगरानी का दायित्व सौंपा गया है। यह नया अत्याधुनिक कार्यालय पंजीकरण, नवीनीकरण और संबंधित सुविधाओं के लिए पूरी तरह से ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करता है, जिससे पहुंच में आसानी, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
नए कार्यालय की एक विशेष विशेषता कैशलेस ‘वी-ऑफिस’ प्रणाली है, जिससे डीडीसी भारत में ऐसी सुविधा प्रदान करने वाला एकमात्र राज्य दंत चिकित्सा परिषद बन गया है।

क्या है टिश्यू इंजीनियरिंग ? 
डॉ. अरुणदीप कौर लांबा ने बताया कि छठी मंजिल पर स्थित पीरियोडोंटोलॉजी विभाग में सेंट्रल टिशू बैंक स्थापित किया गया है। इस सुविधा के साथ, ऊतक या अस्थि प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीज अब सीधे संस्थान में ही इन्हें प्राप्त कर सकेंगे। इससे पहले मरीजों को ऐसी सामग्री बाजार से खरीदनी पड़ती थी। यह अत्याधुनिक सुविधा भारत के किसी भी दंत चिकित्सा संस्थान में अपनी तरह की पहली सुविधा है, जो बेहतर रोगी देखभाल और पहुंच सुनिश्चित करती है।

डॉ कौर ने बताया कि इस केंद्र में हड्डी रोग विभाग की मदद से मानव अस्थियों को एकत्र किया जाता है। इससे पहले अस्थि दाता मरीज की एचआईवी एड्स और हेपेटाइटिस समेत तमाम संक्रामक रोगों से संबंधित जांच की जाती है। सभी रिपोर्ट सामान्य आने के बाद हड्डी रोग विभाग से प्राप्त अस्थियों को सेंट्रल टिशू बैंक में स्थापित अत्याधुनिक मशीनों के जरिये गामा रेडिएशन से स्टरलाइज किया जाता है। फिर अस्थि प्रत्यारोपण वाले मरीज की जरुरत के मुताबिक बोन ग्राफ्ट तैयार किए जाते हैं। इन बोन ग्राफ्ट से कैंसर व मधुमेह मरीजों के साथ सड़क दुर्घटना में घायल लोगों और जबड़े की कमजोर हड्डी के चलते इम्प्लांट सुविधा न ले पाने वाले लोगों का उपचार किया जा सकेगा।

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