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नई दिल्ली: कैंसर को मिलेगी मात, जीनोमिक्स से होगा इलाज : फोर्टिस

नई दिल्ली: -देश में त्वरित और पर्सनलाइज्ड कैंसर केयर की राह बनी आसान

नई दिल्ली, 29 जुलाई : जीनोमिक्स अब भविष्य का सपना नहीं रहा। यह आज ही जीवन बचाने में योगदान कर रहा है। जेनक्सस 2.0 की मदद से, फोर्टिस एवं एगिलस ने कैंसर केयर को अधिक तेज रफ्तार देने के साथ पहले की तुलना में अधिक स्मार्ट और प्रत्येक मरीज के लिए सुलभ बना दिया है। यह जानकारी हेमेटोलॉजी एंड बोन मैरो ट्रांसप्लांट के प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. राहुल भार्गव ने मंगलवार को दी।

उन्होंने बताया कि फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम ने एगिलस डायग्नॉस्टिक्स के सहयोग से आज अपना दूसरा जेनेक्सस सिस्टम लॉन्च किया है। यह देश में सर्वाधिक तेज रफ्तार और आवश्यकतानुसार विस्तार की क्षमता रखने वाला एआई जीनोमिक टेस्टिंग प्रोग्राम है। जिससे अत्याधुनिक डायग्नॉस्टिक्स एवं समय पर, म्युटेशन-मैचिंग के आधार पर कैंसर उपचार और केयर करने में मदद मिलेगी।

डॉ भार्गव के मुताबिक जेनेक्सस प्लेटफार्म 24 घंटे में लिक्विड बायोप्सी, 72 घंटे में मायलोइड एनजीएस, तथा 5 दिनों के भीतर एमआरडी टेस्टिंग जैसी महत्वपूर्ण मेडिकल रिपोर्ट और नेक्स्ट-जेनरेशन सिक्वेंसिंग (एनजीएस) को सक्षम बनाता है। इतने कम समय में जांच परिणाम उपलब्ध होने से पारंपरिक डायग्नॉस्टिक के तौर-तरीके पिछड़ गए हैं, जिनमें कई बार कई सप्ताह तक लगते थे और उनसे जेनेटिक जटिलताओं के मामले में भी काफी सीमित जानकारी मिलती थी।

डॉ भार्गव ने कहा, अब हम (डॉक्टर) किसी व्यक्ति के कैंसर के पीछे जेनेटिक कारणों का पता कुछ ही दिनों में लगा सकते हैं, जबकि पहले इस प्रक्रिया में कई हफ्तों का समय लगा करता था। त्वरित और गहन जानकारी के आधार पर, न केवल निर्णय लेना आसान बनेगा। बल्कि हमारे मरीजों को भी दीर्घकालिक आधार पर रोग से बचाव के बारे में सटीक तस्वीर मिल सकेगी। इस प्रगति से मरीजों की देखभाल के मामले में वास्तविक और सार्थक बदलाव लाया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि कम समय में टेस्ट रिज़ल्ट मिलने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि मरीज अपनी अनोखी जेनेटिक प्रोफाइल के आधार पर जल्द से जल्द सर्वाधिक प्रभावी और पर्सनलाइज़्ड उपचार ले सकेंगे। सच तो यह है कि, 40% से अधिक मरीजों ने लक्षित थेरेपी ली है, जबकि पहले जबकि टेस्ट के नतीजे मिलने में लंबा समय लगा करता था तब यह आंकड़ा केवल 11% था। वहीं, ल्यूकीमिया जैसे ब्लड कैंसर के मामलों में रैपिड टेस्ट रिजल्ट की सुविधा होने से मरीजों की मृत्यु (डायग्नॉसिस के 30 दिनों के भीतर) के मामलों में लगभग 50% कमी लाने में कामयाबी मिली है।

डॉ भार्गव ने कहा, अब जीवनरक्षक प्रत्यारोपण पहले से जल्दी हो रहे हैं – जिन मरीजों को बोन मैरो ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, उनके लिए हर दिन कीमती होता है। इस प्रोग्राम से पहले, अधिकांश मरीजों को ट्रांसप्लांट शुरू होने से पहले लगभग 4 महीने तक इंतजार करना पड़ता था। लेकिन अब डायग्नॉस्टिक्स की प्रक्रिया में तेजी आने का नतीजा यह हुआ है कि यह प्रतीक्षा समय घटकर 3 माह से भी कम रह गया है – जिससे मरीजों की रिकवरी की संभावनाएं बेहतर हुई हैं।

एगिलस डायग्नॉस्टिक्स के एमडी एवं सीईओ डॉ आनंद के ने कहा, दूसरे जेनक्सस के उपलब्ध होने के बाद, अब हम एडवांस मॉलिक्यूलर डायग्नॉस्टिक्स को अधिकाधिक जरूरतमंदों तक पहुंचाने की स्थिति में हैं। इससे ना केवल टेस्ट रिजल्ट जल्दी उपलब्ध होते हैं। बल्कि रिकॉर्ड समय में रोग की सही स्थिति के बारे में सटीक जानकारी भी मिलती है। इसने पर्सनलाइज़्ड मेडिसिन को प्रत्येक भारतीय कैंसर रोगी के और नजदीक पहुंचाया है। इस पार्टनरशिप से हेमोटोलॉजिस्ट, ओंकोलॉजिस्ट, मॉलीक्यूलर पैथोलॉजिस्ट तथा बायोइंफोरमेटिशियंस को एक छत के नीचे लाना आसान हो गया है।

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