
नई दिल्ली, 9 अप्रैल : ‘जैसे को तैसा ठीक करता है’ के सिद्धांत पर आधारित होम्योपैथी चिकित्सा रोग उपचार का एक प्राकृतिक तरीका है जो कहता है कि एक स्वस्थ व्यक्ति में बीमारी के लक्षण पैदा करने वाला पदार्थ बीमार व्यक्ति में भी इसी तरह के लक्षणों को ठीक कर सकता है। यह बातें केंद्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने विश्व होम्योपैथी दिवस की पूर्व संध्या पर कही।
उन्होंने कहा, दो शताब्दियों से भी अधिक समय से चली आ रही होम्योपैथी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा पद्धति है जिसके सम्मान में हर साल 10 अप्रैल को भारत दुनिया के साथ मिलकर विश्व होम्योपैथी दिवस मनाता है, जो होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुअल हैनीमैन की जयंती है। भारत में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि देश में 10 करोड़ से ज्यादा लोग इस उपचार पर निर्भर हैं।
जाधव के मुताबिक होम्योपैथी ने अपने चिकित्सीय गुणों और उपचार के जरिये देश की सबसे मजबूत स्वास्थ्य सेवा सहायता प्रणालियों में से एक का निर्माण किया है। इसके पीछे डॉक्टरों, अस्पतालों, कॉलेजों और अनुसंधान का एक ठोस ढांचा है जो देश भर में 3.45 लाख से अधिक पंजीकृत होम्योपैथिक डॉक्टरों के माध्यम से लाखों लोगों को सस्ती चिकित्सा प्रदान कर रहे हैं।
भारत में 277 होम्योपैथी अस्पताल हैं जो इनपेशेंट केयर प्रदान करते हैं। ये अस्पताल उन रोगियों की मदद करते हैं जिन्हें आपातकालीन उपचार की आवश्यकता नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें सावधानीपूर्वक देखभाल की आवश्यकता है। इसके अलावा, शहरों और गांवों में फैले 8,593 होम्योपैथी औषधालय हैं जो बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं। जिन लोगों को लंबे समय तक निगरानी और रिकवरी की आवश्यकता होती है, उनके लिए आयुष वेलनेस अस्पतालों में 8,697 होम्योपैथी बेड की सुविधा उपलब्ध है।
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