नई दिल्ली, 29 जनवरी : राजधानी के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने ट्रांसपोजिशन ऑफ द ग्रेट आर्टरीज से पीड़ित, मात्र एक दिन की नवजात कन्या शिशु की जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
यह कन्या शिशु एक ऐसे दुर्लभ जन्मजात हृदय दोष से ग्रसित थी जिसमें हृदय से निकलने वाली प्रमुख धमनियों के स्थान की अदला-बदली हो जाती है। इसके अलावा, कन्या शिशु के हृदय में भी छेद था। इस बेहद जोखिमपूर्ण स्विच सर्जरी (दुर्लभ किस्म की ओपन-हार्ट सर्जरी जिसके जरिए एओर्टा और पल्मोनरी धमनियों के हृदय के गलत वेंट्रिकल्स में मौजूद होने की वजह से उत्पन्न दोष को सुधारा जाता है) को फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला के पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी के निदेशक डॉ नीरज अवस्थी के नेतृत्व में संपन्न किया गया। जिससे शिशु के जीवन की रक्षा हो सकी। करीब तीन घंटे तक चली जटिल सर्जरी के 16 दिन बाद शिशु मरीज को स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दी गई।
डॉ अवस्थी के मुताबिक इस शिशु की मां की गर्भावस्था के 20वें हफ्ते में रूटीन अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान ही भ्रूण के हृदय में कुछ असामान्यता महसूस हुई थी। भ्रूण के इकोकार्डियोग्राम से पता चला कि शिशु जन्मजात हृदय रोग से ग्रस्त होगी। उन्होंने बताया, डिलीवरी के अगले ही दिन नवजात की बैलून एट्रियल सेप्टोस्टॉमी की गई। इस मिनिमली इनवेसिव हार्ट प्रोसीजर का इस्तेमाल नवजात शिशुओं के जन्मजात हृदय विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, एक कैथेटर को जिसकी एक नोक पर बिना फूला हुआ गुब्बारा होता है, धमनियों में डालकर हृदय तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद इस गुब्बारे को फुलाया जाता है। ताकि हृदय के दोनों चैंबर के बीच एक बड़ा छेद किया जा सके और तब इस गुब्बारे की हवा निकालकर इसे हटा लिया जाता है।