नई दिल्ली: ‘ध्यान’ को सबूत के साथ चिकित्सा क्षेत्र में करेंगे स्थापित: डॉ श्रीनिवास
नई दिल्ली: -भारत की हजारों साल पुरानी विधा कई रोगों के उपचार में कारगर
नई दिल्ली, 23 दिसम्बर: ‘ध्यान’ (मेडिटेशन) सिर्फ एक योग का आसन नहीं है, बल्कि साइंटिफिक भी है। यह भारत की हजारों साल पुरानी विधा है, जिसका लाभ अनेक रोगों के उपचार में उठाया जा रहा है। यह बातें एम्स दिल्ली के निदेशक डॉ एम श्रीनिवास ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू सभागार में आयोजित पहले ग्लोबल मेडिटेशन डे पर कहीं।
उन्होंने कहा, हम एविडेंस प्रोड्यूस करेंगे कि हमारी प्राचीन पद्धति कितनी फायदेमंद और कारगर है। इस संबंध में देश के नंबर 1 स्वास्थ्य संस्थान (एम्स दिल्ली) ने जो रिसर्च की है वो सही है, सही काम कर रही है और आगे भी सही काम करेगी। वहीं, फिजियोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ कंवलप्रीत कोचर ने कहा, इस विधा को वैज्ञानिक सबूतों के साथ मेडिकल क्षेत्र में स्थापित करने के लिए एम्स दिल्ली में रिसर्च कार्य जारी हैं। उन्होंने बताया कि नियमित तौर पर ध्यान करने से बच्चों और वयस्कों को उनके मानसिक स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। वहीं, पार्किंसन, अल्जाइमर और सेरेब्रल पाल्सी जैसे तंत्रिका रोगों में भी फायदा होता है। यह निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि करता है।
डॉ कोचर के मुताबिक एम्स में फाइब्रोमायल्जिया (फाइब्रोसाइटिस) ,कैंसर, रेटिनोब्लास्टोमा, मेटाबोलिक सिंड्रोम के इलाज पर भी काम हो रहा है। साथ ही हृदय रोग, मानसिक स्वास्थ्य और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) पर काम किया जा रहा है। फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित लोग सुबह उठते समय शरीर में दर्द और जकड़न महसूस करते हैं। कुछ लोगों में दिन के समय दर्द कम होता है और रात में दर्द बढ़ जाता है। कुछ लोगों को पूरे दिन दर्द रहता है। फाइब्रोमायल्जिया से पीड़ित अधिकांश लोगों में थकान, उदास मनोदशा या नींद की समस्या में से एक लक्षण जरूर होता है। डॉ कोचर ने बताया कि अभी हम ओम मंत्र के उच्चारण से तंत्रिका रोगों के उपचार पर रिसर्च कर रहे हैं। जल्द ही इसके परिणाम शेयर किए जाएंगे।
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