
नई दिल्ली, 16 अक्तूबर : आयुर्वेद आहार केवल भोजन नहीं है – यह एक ऐसा दर्शन है जो स्वास्थ्य, स्थिरता और प्रकृति के प्रति करुणा को जोड़ता है। संयोग से इस वर्ष के विश्व खाद्य दिवस का विषय भारत के पारंपरिक ज्ञान से गहराई से मेल खाता है।
यह बातें केंद्रीय आयुष और स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने वीरवार को कहीं। उन्होंने आगे कहा, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सहयोग के माध्यम से हमारा लक्ष्य आयुर्वेद आहार को वैश्विक पोषण का एक अभिन्न अंग बनाना है, और यह सुनिश्चित करना है कि बेहतर खाद्य पदार्थ एक बेहतर, रोगमुक्त भविष्य का निर्माण करें। एफएसएसएआई द्वारा अधिसूचित आयुर्वेद आहार नियम, भारत के पारंपरिक स्वास्थ्य ज्ञान को आधुनिक खाद्य सुरक्षा मानकों के साथ एकीकृत करने में पहले से ही नए मानक स्थापित कर रहे हैं।
आयुष मंत्रालय के सचिव, वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, आयुर्वेद-आधारित खाद्य प्रणालियों में बढ़ती वैश्विक रुचि समग्र पोषण में भारत के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करती है। आयुर्वेद आहार ढांचे को हम स्वास्थ्य खाद्य क्षेत्र में स्टार्टअप्स और नवाचार के लिए एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में देखते हैं जहां आयुर्वेद का ज्ञान आहार और जीवनशैली से संबंधित विकारों की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने में मदद कर सकता है जो गैर-संचारी रोगों का कारण बनते हैं।