दिल्लीभारत

मरीजों की देखभाल में करने वाले नर्सों को इलाज की जरुरत

-लोकनायक अस्पताल के नर्सों को घेर रहा डिप्रेशन, टेंशन और स्ट्रेस

नई दिल्ली, 20 अक्तूबर: रोगी देखभाल सेवा में अग्रणी दिल्ली के लोक नायक अस्पताल (एलएनएच) में कार्यरत नर्सिंग अधिकारी आजकल खुद ही बीमार पड़ रहे हैं। इससे जहां अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीज प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, सामान्य से लेकर गंभीर रोगों के उपचार करने वाले विशेषज्ञ डॉक्टरों के समक्ष भी दिक्कतें उत्पन्न हो रही हैं।

इस समस्या के पीछे कोई संक्रामक बीमारी नहीं बल्कि लंबे अरसे से अस्पताल में नर्सिंग अधिकारियों के नए पदों का सृजन न होना मुख्य वजह है। जिसके चलते करीब साढ़े तीन हजार नर्सों का काम करने को मजबूर करीब साढ़े बारह सौ नर्सों को शारीरिक और मानसिक रोगों (स्ट्रेस, टेंशन और डिप्रेशन) से जूझना पड़ रहा है। दरअसल, साल 2016 में लोकनायक अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए 1737 बिस्तरों की क्षमता को बढ़ाकर 2053 बिस्तर तक तो कर दिया गया। मगर, बिस्तरों की वृद्धि के अनुपात में नर्सिंग अधिकारियों के नए पद सृजित नहीं किए गए हैं।

समस्या के समाधान के लिए लोक नायक अस्पताल नर्सेज यूनियन ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर नए पदों के सृजन करने की मांग की है। यह पत्र उप राज्यपाल, मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और चिकित्सा निदेशक को भी भेजा गया है। यूनियन का कहना है कि नर्सों की कमी होने की वजह से अस्पताल के एक- एक वार्ड में 100 से 150 मरीज भर्ती हैं। अमूमन, एक बिस्तर पर दो से तीन मरीज भर्ती होने के कारण मरीजों के साथ मरीजों की देखभाल करने वाले नर्स अधिकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस परिस्थिति से महिला एवं प्रसूति रोग विभाग और बाल रोग विभाग से संबंधित वार्ड के मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।

वहीं, नर्सों की संख्या कम और मरीजों की संख्या बेहद ज्यादा होने के चलते नर्सिंग अधिकारियों को लंबे और नियमित ड्यूटी आवर्स से गुजरना पड़ रहा है। काम के अत्यधिक बोझ के चलते नर्सों को होली- दिवाली-ईद जैसे बड़े त्यौहारों के अवसर पर भी अपने गृह नगर जाने के लिए छुट्टियां नहीं मिल पा रही हैं। घर -परिवार और समाज से दूरी नर्सों की मानसिक समस्याओं का सबब बन रही हैं।

इस संबंध में एलएनएच के चिकित्सा निदेशक ने करीब एक दशक पहले एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म स्टडी (एआरएस) कराई थी। जिसने 2053 बिस्तरों पर मरीजों के स्वास्थ्य देखभाल के लिए 3463 नर्सिंग अधिकारी के पद सृजित करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश में 2565 नर्सिंग अधिकारी, 713 वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, 159 सहायक नर्सिंग अधीक्षक, 21 डीएनएस, 4 नर्सिंग अधीक्षक और 1 मुख्य नर्सिंग अधीक्षक के पद शामिल थे। इस संबंध में दिल्ली सचिवालय भी अस्पताल प्रशासन को पत्र लिख चुका है। मगर उसे अब तक लागू नहीं किया जा सका।

वर्ष 2016 में लोक नायक अस्पताल 1737 बिस्तरों की क्षमता और 1235 नर्सिंग अधिकारियों के साथ चल रहा था। इस बीच, बिस्तरों की संख्या तो 2053 कर दी गई। मगर, मरीजों की देखभाल के लिए स्वीकृत पदों की संख्या में कोई इजाफा नहीं किया गया। बीते एक दशक में 1235 नर्सों में से भी अनेक नर्स रिटायर या ट्रांसफर हो चुके हैं और अनेक नर्स रेजिग्नेशन दे चुके हैं। नतीजतन करीब साढ़े तीन हजार नर्सों का काम कुछ सौ नर्सों को ही करना पड़ रहा है।
-अमित पांडे, महासचिव, लोक नायक अस्पताल नर्सेज यूनियन

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