नई दिल्ली, 6 जून : भारत में एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की सुलभता केंद्र सरकार की उच्च प्राथमिकता है। ताकि बढ़ती उम्र के मद्देनजर लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध हो सकें। इसके लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव किए जा रहे हैं।
यह बातें नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ वी के पॉल ने शुक्रवार को ‘‘स्वास्थ्य सेवा तक सार्वभौमिक पहुंच: डिजिटल समाधान” का उद्घाटन करने के दौरान कहीं। डॉ. पॉल ने डिजिटल स्वास्थ्य समाधान के लिए पांच प्रमुख सिद्धांतों को रेखांकित किया, जिनमें डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग और उनका विस्तार, रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आदि जैसी नई प्रौद्योगिकियों का निर्माण करना शामिल है। उन्होंने आगे कहा, लेकिन इन समाधानों की वजह से डिजिटल विभाजन भी नहीं बढ़ना चाहिए। इनका इस्तेमाल उन लोगों के लिए भी आसान होना चाहिए जो लोग डिजिटल रूप से साक्षर नहीं हैं। वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के महासचिव भरत लाल ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा बुनियादी मानव अधिकार है और अच्छे स्वास्थ्य के बिना, मनुष्य की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा भी मौजूद थे।