कोर्ट ने गार्डेनिया ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई पर लगाई रोक, अब नहीं होगी नीलामी
कोर्ट ने गार्डेनिया ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई पर लगाई रोक, अब नहीं होगी नीलामी

अमर सैनी
नोएडा। गौतमबुद्ध नगर कमर्शियल कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को झटका दिया है। कोर्ट ने गार्डेनिया ग्रुप के खिलाफ प्राधिकरण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने प्राधिकरण को मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समन भी जारी किया है। सुनवाई की अगली तिथि 12 जुलाई तय की गई है।
प्राधिकरण ने बकाया भुगतान न करने पर डेवलपर की जमीन का आवंटन आंशिक रूप से रद्द कर दिया था और बिना बिकी इन्वेंट्री को जब्त कर लिया था। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कार्रवाई से कंपनी को अपूरणीय क्षति होगी। प्राधिकरण की एसीईओ वंदना त्रिपाठी ने कहा कि कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। मांगी गई जानकारी मुहैया कराई जाएगी। जीबी नगर कमर्शियल कोर्ट के पीठासीन अधिकारी इंदर प्रीत सिंह जोश ने अपने आदेश में नोएडा प्राधिकरण को दैनिक कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न करने तथा डेवलपर की संपत्ति को खाली कराने और अगली सुनवाई तक नीलामी करने से रोक दिया है।
बकाए की वसूली के लिए लिया था एक्शन
सेक्टर-75 इको सिटी के लिए 6 लाख वर्ग मीटर भूमि एम्स मैक्स गार्डेनिया डेवलपर प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व में है। 31 दिसंबर 2023 तक इस पर 1717.29 करोड़ रुपये बकाया हैं। सेक्टर-75 इको सिटी में डेवलपर द्वारा कुल 6 लाख वर्ग मीटर भूमि में से 60 हजार वर्ग मीटर भूमि पर व्यावसायिक निर्माण के तहत एक अनसोल्ड ब्लॉक है। इसकी लीज डीड को रद्द करने और यहां ब्लॉक-ए, बी, सी और डी को कुर्क करने का निर्णय लिया गया। इसे नीलाम करने का आदेश दिया गया। ताकि बकाया राशि की वसूली की जा सके।
प्राधिकरण के आदेश को कोर्ट में दी चुनौती
डेवलपर ने प्राधिकरण की कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती दी। जिसमें कहा गया कि उसने मई माह में अमिताभ कांत की संस्तुति के तहत प्राधिकरण को सहमति दे दी थी। साथ ही प्राधिकरण के खाते में 1 करोड़ रुपए जमा करवा दिए थे। कोर्ट ने पाया कि प्राधिकरण द्वारा 60000 वर्ग मीटर व्यावसायिक भूमि को निरस्त करना अव्यवहारिक है। उक्त चार लीज डीड में से 10% व्यावसायिक निर्माण के लिए है। इसलिए भूमि को निरस्त करना अव्यवहारिक है। कोर्ट के आदेश में आगे कहा गया है कि डेवलपर करीब 14 साल से विकास कार्य कर रहा है और उसके द्वारा काफी निवेश किया गया है।
कंपनी की विश्वसनीयता पर सवाल उठेगा
जहां तक अपूरणीय क्षति का सवाल है, तो उसने कहा कि डेवलपर ने करीब 470 आवंटियों के पक्ष में लीज डीड की है। इसके अलावा वादी एक निजी कंपनी है, जिसकी अपनी विश्वसनीयता है। वादी ने काफी निवेश किया है और संपत्ति पर निर्माण भी किया है। वादी की संपत्ति पर कई अन्य कंपनियों का भी अधिकार है। ऐसे में अगर उनका प्रोजेक्ट रद्द होता है, तो तीसरे पक्ष द्वारा मुकदमा किए जाने की पूरी संभावना है। इससे उनकी कंपनी की विश्वसनीयता को अपूरणीय क्षति पहुंचेगी और वित्तीय नुकसान भी होगा।