नई दिल्ली, 12 नवम्बर: वर्चुअल रियलिटी या आभासी वास्तविकता द्वारा मरीज की कोलोनोस्कोपी या ब्रोंकोस्कोपी के बिना भी कई बीमारियों को सीटी स्कैन से डायग्नोस किया जा सकता है।
यह जानकारी अंतरराष्ट्रीय रेडियोलॉजी दिवस पर आरएमएल अस्पताल में आयोजित पैनल परिचर्चा के दौरान उपस्थित मेडिकल छात्रों और प्रोफेशनल को दी गई। इस अवसर पर आरएमएल के चिकित्सा निदेशक डॉ अजय शुक्ला और एम्स दिल्ली के प्रोफेसर सेंथिल कुमारन समेत लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और आरएमएल अस्पताल के रेडियोलॉजी, कार्डियोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, न्यूरोलॉजी, यूरोलॉजी और प्रसूति एवं स्त्री रोग सहित तमाम विभागों के प्रमुख मौजूद रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्ष और रेडियोडायग्नोसिस विभाग की प्रमुख डॉ. शिबानी मेहरा ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा की दुनिया में ‘रेडियोलॉजी एक गेम चेंजर’ साबित हुई है जिसमें एक्स-रे और एमआरआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे शरीर के अंदर के अंगों और संरचनाओं की विस्तृत तस्वीरें बनाई जा सकती हैं जो छोटी आंत में सूजन, रक्तस्राव, रुकावट, और अन्य समस्याओं का पता लगाने से लेकर मस्तिष्क में जैव रासायनिक बदलावों की माप के जरिये ट्यूमर, स्ट्रोक और मिर्गी में ऊतक बदलावों का पता लगाने में मदद करती है। इस अवसर पर रेडियोडायग्नोसिस विभाग में नियमित रूप से लागू किए जाने वाले विकिरण सुरक्षा के सभी पहलुओं पर जोर देते हुए नाटक भी प्रस्तुत किए गए।