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करोड़ों के घोटाले में फंसे यूपी राज्य निर्माण निगम के अफसर

करोड़ों के घोटाले में फंसे यूपी राज्य निर्माण निगम के अफसर

अमर सैनी
नोएडा। उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण निगम के अपर परियोजना प्रबंधक राजवीर सिंह के करोड़ों के घोटाले में नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। स्मारकों के निर्माण के लिए पत्थरों की खरीद में अनियमितताओं और काली कमाई खपाने के आरोपों में फंसे राजवीर सिंह ने संपत्तियों में निवेश करने के साथ-साथ कारोबार भी स्थापित किया। विजिलेंस की छापेमारी के दौरान उनके ठिकानों से मिले दस्तावेजों में राजवीर के कई कंपनियों में निवेश की जानकारी मिली है, जिससे घोटाले का दायरा और भी बढ़ता नजर आ रहा है।

राजवीर के घर हुई छापेमारी के दौरान विजिलेंस को तीन कंपनियों के दस्तावेज मिले हैं। इनमें से एक कंपनी “आरिज वेलटेक” का जीएसटी रजिस्ट्रेशन सीधे राजवीर सिंह के नाम पर है, जबकि दो अन्य कंपनियां “नोएडा टेस्ट हाउस” और “एआर इंटरप्राइजेज” उनकी पत्नी के नाम पर पंजीकृत हैं। अब विजिलेंस राजवीर और उनकी पत्नी दोनों से इन कंपनियों की गतिविधियों और लेनदेन की जानकारी लेगी, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि सरकारी सेवा में रहते हुए उन्होंने कंपनियों की स्थापना कैसे की और क्या इन कंपनियों को अपने विभाग के ठेके दिए गए थे। विजिलेंस अधिकारियों को संदेह है कि इन कंपनियों का इस्तेमाल अवैध कमाई को वैध बनाने के लिए किया गया है। छापेमारी में विजिलेंस को नोएडा टेस्ट हाउस में सॉइल टेस्टिंग से जुड़ी लाखों की मशीनें और उपकरण मिले हैं। जिससे यह संकेत मिलता है कि इन कंपनियों में व्यापक स्तर पर निवेश किया गया था। इसके साथ ही गोपनीय मोबाइल नंबर भी बरामद हुए हैं। जिनका उपयोग व्यवसायिक लेनदेन में किया गया। विजिलेंस इन नंबरों का रिकॉर्ड खंगाल रही है। जिससे यह पता चल सके कि किन लोगों के साथ लेनदेन किया गया था।

पत्नी से भी होगी पूछताछ

जांच के दौरान यह पाया गया कि राजवीर ने अपनी आय से अधिक संपत्ति के बारे में भी जानकारी छिपाई थी। कई प्लॉट्स और अन्य कीमती संपत्तियां, जिन पर पीजी और हॉस्टल संचालित हो रहे हैं। उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। विजिलेंस जल्द ही राजवीर और उनकी पत्नी को पूछताछ के लिए बुलाएगी। जिससे यह स्पष्ट हो सके कि इन संपत्तियों को किस प्रकार हासिल किया गया था।

व्यावसायिक काम में लगा था सॉइल टेस्टिंग का कारोबार

सूत्रों के अनुसार राजवीर सिंह ने विजिलेंस के सामने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने कुछ करीबियों के साथ मिलकर व्यावसायिक लाभ के लिए कंपनियां बनाई थीं, लेकिन उन्हें नुकसान हुआ। नोएडा टेस्ट हाउस कंपनी सॉइल टेस्टिंग से जुड़े कार्यों में लगी थी। इस कंपनी के माध्यम से विभिन्न ठेके हासिल किए जाने की आशंका जताई जा रही है।

आगे बढ़ेगी जांच

विजिलेंस विभाग अब इन कंपनियों और राजवीर के निजी संपत्तियों से जुड़े सभी दस्तावेजों की गहन जांच कर रहा है। अधिकारियों का मानना है कि इस मामले की जांच में और भी बड़े घोटाले का खुलासा हो सकता है। राजवीर सिंह के खिलाफ जांच का दायरा अब और भी बढ़ गया है। आने वाले दिनों में इस मामले में और भी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती हैं।

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