जापानी तकनीक से जीवनरक्षक मेडिकल डिवाइस बनाएगा एम्स
-जनता व चिकित्सा संस्थानों को किफायती दरों पर मिल सकेंगे गुणवत्तापूर्ण उपकरण
नई दिल्ली, 27 अगस्त : एंडोस्कोपी, लेप्रोस्कोपी, थोरेकोस्कोपिक सर्जरी उपकरण से लेकर कार्डियक स्टेंट, पेसमेकर और हृदय के वाल्व जैसे महंगे विदेशी मेडिकल डिवाइस अब भारत में किफायती दरों पर उपलब्ध होंगे। इसके लिए जापानी प्रौद्योगिकी की मदद से हरियाणा के झज्जर स्थित एम्स परिसर में एक केंद्र विकसित किया जाएगा।
दरअसल, देशभर में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए आज भी कम से कम 70 फीसद मेडिकल डिवाइस विदेश से आयात किए जाते हैं। जो न सिर्फ महंगे होते हैं बल्कि भारतीय परिदृश्य में उनका समायोजन भी आसानी से नहीं हो पाता है। इसलिए एम्स दिल्ली ने जापान के तकनीकी सहयोग से नए और किफायती सर्जिकल उपकरणों का विकास करने का फैसला किया है। साथ ही उपकरणों के परीक्षण करने की भी योजना बनाई है।
सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ हेमांग भट्टाचार्जी ने बताया कि सेंसिटिव मेडिकल डिवाइस का निर्माण सर्जन, डॉक्टर और इंजीनियर मिलकर करेंगे। इस दौरान सर्जन मरीज की जरुरत और फिटिंग के मुताबिक उपकरण बनाने के संबंध में अपने आईडिया देंगे जिसे जापान के तकनीशियन और आईआईटी दिल्ली के इंजीनियर अमल में लाएंगे। इसके तहत पहले प्रोटोटाइप बनाया जाएगा जिसे कंप्यूटर आधारित डिज़ाइन और थ्री डी मेटल प्रिंटिंग मशीन के माध्यम से विकसित किया जाएगा। फिर उपकरण का परीक्षण होगा जिसे मुर्दों और सुअरों पर संपन्न किया जाएगा। सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद उपकरण बिक्री के लिए बाजार में उपलब्ध कराए जाएंगे।
डॉ भट्टाचार्जी ने बताया कि इस परियोजना के लिए एम्स ने जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता (एमओयू) किया है। साथ ही एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दोनों देश के विशेषज्ञ एक दूसरे के यहां दौरा कर चुके हैं। अब जापान का एक प्रतिनिधिमंडल एम्स दिल्ली आया है जिसका नेतृत्व ओसाका यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन में नेक्स्ट जनरेशन एंडोस्कोपिक इंटरवेंशन विभाग के प्रोफेसर डॉ. कियोकाजू नाकाजिमा कर रहे हैं। इससे पहले एम्स का प्रतिनिधिमंडल जापान के फुकुशिमा मेडिकल डिवाइस डेवलपमेंट सपोर्ट सेंटर, मेडिकल डिवाइस डेवलपमेंट सेंटर कोबे और मेडिकल डिवाइस निर्माण कंपनी हिरोशिमा का दौरा कर चुका है।