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उत्तर प्रदेश, नोएडा:नोएडा में दो प्रदेशों के मॉडल पर होगी पुनर्विकास नीति

उत्तर प्रदेश, नोएडा: -30 साल पुरानी इमारतों को फायदा, मध्यप्रदेश- छत्तीसगढ़ की नीति का किया अध्ययन

अजीत कुमार

उत्तर प्रदेश, नोएडा।शहर में जर्जर हो चुकी हाइराइज और लो राइज इमारतों को फिर से भव्य रूप दिया जाएगा। नोएडा में 30 साल पुरानी इमारतों में रहने वाले नोएडा के लोगों को इसका फायदा होगा। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण ने पुनर्विकास नीति लागू की है। इस नीति को नोएडा की बोर्ड ने अप्रूवल दे दिया है। अब प्राधिकरण का प्लानिंग सेक्शन इस पर काम कर रहा है। इसे छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में लागू पुनर्विकास नीति के तहत बनाया जाएगा। जिसका एक प्रजेंटेशन कल बोर्ड रूम में हो सकता है।

वहां से देखा जाएगा और संशोधन के बाद इसे लागू किया जाएगा। मध्यप्रदेश में पुनर्विकास नीति के तहत शहरी क्षेत्र में जर्जर इमारतों का पुनर्विकास पीपीपी मॉडल पर या सार्वजनिक प्राधिकरण या निजी डेवलपर द्वारा कराया जाता है। इस नीति में साफ है कि अवैध निर्माण और किराए पर रह रहे आवंटियों के लिए लागू नहीं होगा। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और नोएडा प्राधिकरण के पुनर्विकास नीति का मॉडल मिलते जुलते हैं। ऐसे में प्रजेंटेशन के बाद तय हो जाएगा कि इसमें और क्या संशोधन या लोगों को राहत दी जा सकती है।

प्राधिकरण ने बताया कि नोएडा की स्थापना उप्र औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम 1976 की धारा-3 के तहत किया गया। यहां बहुमंजिला इमारतों का निर्माण साल 1981 से शुरू हुआ। यहां लीज पर बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई। यहां अपार्टमेंट बने जिसे सबलीज के जरिए बायर्स को दिया गया। इसके अलावा प्राधिकरण ने भी कम आय वर्ग के लिए लो राइज ग्रुप हाउसिंग बनाए। जिसे भी लीज पर पात्र लोगों को बेचा गया। ऐसे जर्जर हो रहे भवन अत्यधिक बारिश और लो इंटेसेंटी के भूकंप से प्रभावित हो सकते है।

इन्ही इमारतों को गिराकर लिविंग स्टैंडर्ड में सुधार कर दोबारा से भव्य रूप में बनाया जाएगा। इसके लिए प्राधिकरण

रि डेवलपमेंट पॉलिसी लेकर आया है। इससे नोएडा में 100 ग्रुप हाउसिंग और 500 लो राइज सोसायटियों का उद्धार होगा। इनमें रहने वाले लोगों को काफी लाभ हो सकता है। इमारतों को भव्य रूप देते समय भविष्य में इनका फ्लोर एरिया रेसियों (एफएआर) भी बढ़ेगा।

पॉलिसी के तहत किन इमारतों का होगा पुनर्विकास

ऐसे हाइराइज इमारत जो स्ट्रक्चरल रूप से असुरक्षित घोषित की गई है या 30 साल से अधिक पुरानी है।
संरचनात्मक रूप से असुरक्षित घोषित किए जाने के लिए IIT/NIT या इसके समकक्ष संस्थान द्वारा इमारत को जर्जर घोषित किया गया हो।
पुनर्विकास के लिए इमारत के लीज होल्ड निवासियों में कम से कम 70 प्रतिशत सहमति आवश्यक।
डेवलपर द्वारा प्राधिकरण से मानचित्र पास कराना होगा।
यहां बनाए जाने वाली अतिरिक्त यूनिट को बेचने के लिए रेरा से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
निर्माण पूरा होने पर अधिभोग प्रमाण पत्र लेना होगा।

पुर्नविकास के साथ मिलेगा अतिरिक्त एफएआर
इस नीति को और कारगर बनाने के लिए प्राधिकरण ने लिविंग स्टैंडर्ड में सुधार के लिए अतिरिक्त एफएआर देने की मंशा भी जताई है। प्राधिकरण ने बताया कि 1981 में जो भी निर्माण किया गया उसका एफएआर 1.5 था। समय के साथ एफएआर में बढ़ोतरी की गई। वर्तमान में एफएआर 3.5 है। जिन इमारतों में पुनर्विकास की आवश्यकता है उनका एफएआर 1.5 ही है। ऐसे में दुर्बल व को आपरेटिव सोसाइटी के पुनर्विकास के दौरान डेवलपर को 2.75 एफएआर दिया जा सकता है।

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