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इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के मोर्चे पर सेना को अग्रणी बनाने की कवायद तेज

- साइबर, स्पेस, क्वांटम, डीप लर्निंग प्रशिक्षण के क्षेत्र में निजी उद्योगों को किया आमंत्रित

नई दिल्ली, 22 नवम्बर : सीमा पर गोलीबारी करने वाले दुश्मन को अपनी गोली से और विदेशी भाषा में संवाद करने वाले दुश्मन को उसी की बोली से जवाब देने वाली भारतीय सेना ने अब अपने सैनिकों को संचार के आधुनिक तौर – तरीके सिखाने का फैसला किया है। जिससे दुश्मन के संचार के खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के मोर्चे पर अग्रणी रहने में आसानी होगी।

सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने शुक्रवार को बताया कि भविष्य का युद्ध तकनीक पर आधारित होगा जिस देश की सेना तकनीक में समृद्ध होगी, वही मैदान में टिक पाएगी। इसलिए हम तकनीक की दुनिया में एआई सहित नवीनतम नवाचारों के साथ तालमेल बिठाने के लिए 16 विभिन्न डोमेन में अपने सैनिकों को प्रशिक्षित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, जब रक्षा प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र की बात आती है, तो सॉफ्टवेयर उद्योग में भारतीय ज्ञान भागीदारों से बेहतर कोई दिखाई नहीं देता। इसलिए हमने स्वदेशी उद्योगों और शिक्षाविदों से भी मदद (प्रोफेशनल स्तर पर) लेने का फैसला किया है।

उप सेना प्रमुख ने कहा भारतीय सैनिकों को साइबर, स्पेस, क्वांटम, 5जी / 6जी., डीप लर्निंग, आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े उपकरणों का संचालन और सूचनाओं का आदान-प्रदान), निर्देशित ऊर्जा हथियार, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन या सॉफ्टवेयर रोबोटिक्स व ड्रोन के साथ मानव रहित स्वायत्त प्रणालियां, 3डी प्रिंटिंग, चीनी भाषा और रोबोटिक्स सहित 16 विशेष विधाओं के क्षेत्र में पारंगत बनाया जाएगा। ताकि सेना भविष्य में संभावित संचार युद्ध में भी अग्रणी और प्रभावी भूमिका निभा सके।

भारतीय सैनिक सीखेंगे मैंडरिन भाषा
पश्चिमी सेक्टर में लद्दाख, मध्य सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड के अलावा पूर्वी सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल सीमा पर तैनात सेना के जवानों को विदेशी भाषा (मैंडरिन) में भी पारंगत बनाया जा रहा है। जो समय की मांग भी है। इससे जहां भारतीय सैनिकों को पड़ोसी की भाषा समझने में आसानी होगी। वहीं, संवाद करने में सुविधा होगी। हालांकि हमारे बहुत सारे सैनिकों को मैंडरिन भाषा में प्रशिक्षित किया जा चुका है और वह पड़ोसी से ‘पड़ोसी की भाषा’ में वार्ता करने में सक्षम हैं।

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