गर्भाशय में पनप रहा था तरबूज के आकार का ट्यूमर, रोबोटिक सर्जरी से मिली निजात
-करीब तीन घंटे तक चली सर्जरी के दौरान मरीज को खून चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ी
नई दिल्ली, 29 जुलाई : फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने 49 वर्षीय मरीज के गर्भाशय से तरबूज के आकार का ट्यूमर (2.2 किलोग्राम वजन) निकालने में सफलता प्राप्त की है। इस जटिल सर्जरी को अस्पताल के ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी विभाग की मुखिया डॉ अंजना सिंह के नेतृत्व में रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से अंजाम दिया गया। वहीं, मरीज को सर्जरी के दो दिन बाद स्थिर हालत में अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
दरअसल, मरीज पिछले दो वर्षों से मासिक धर्म के दौरान तेज दर्द, अनियमित और भारी रक्तस्राव की शिकायत के साथ फोर्टिस अस्पताल इलाज के लिए पहुंची थी। अल्ट्रासाउंड जांच से उनके गर्भाशय में 17-18 से.मी. आकार के फाइब्रॉयड (ट्यूमर) के साथ 7-8 से.मी. आकार के अन्य फाइब्रॉयड्स का पता चला। इस प्रकार के फाइब्रॉयड्स आमतौर पर अत्यधिक इस्ट्रोजन उत्पन्न होने की वजह से बनते हैं, जो कि फाइब्रॉयड टिश्यू की ग्रोथ का कारण बनता है। ट्यूमर इतने बड़े आकार का था कि इसने पूरे एब्डॉमेन को घेर रखा था। इस वजह से सर्जरी करना काफी मुश्किल था। इसके अलावा, मरीज की पहले दो बार सी-सेक्शन सर्जरी भी हो चुकी थी और उनके पुराने घाव वर्टिकल थे। ऐसे में, सर्जरी करने पर शरीर के भीतर महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है।
डॉ अंजना सिंह ने कहा, मरीज इलाज के लिए अलीगढ़ से फोर्टिस अस्पताल में आई थीं, उन्हें इससे पहले कई गाइनीकोलॉजिस्ट्स ने पारंपरिक तरीके से ओपन सर्जरी करवाने की सलाह दी थी, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं थीं। इसके बाद वह इलाज के लिए फोर्टिस नोएडा आईं। इस मामले में, उनके गर्भाशय में ट्यूमर का आकार बढ़कर तरबूज जैसा हो चुका था। यही कारण था कि रोबोट की मदद से सर्जरी करने का फैसला किया गया ताकि उनकी आंतरिक संरचनाओं की सही ढंग से पहचान की जा सके और आंतिरक अंगों को अनायास नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके। करीब तीन घंटे तक चली सर्जरी में काफी कम ब्लीडिंग हुई जिसके चलते मरीज को खून चढ़ाने की भी जरूरत नहीं पड़ी।
डॉ अंजना सिंह ने कहा, इस पूरी सर्जरी का सबसे चुनौतीपूर्ण पहलू था भारी ट्यूमर को निकालना और इसके लिए रोबोटिक आर्म तथा कैमरे की मदद से पेट में 8 मिमी साइज़ के चीरे लगाए गए थे। हमने मरीज के पेट में एक बैग में इस ट्यूमर को तोड़ा और इसके बाद बहुत मामूली आकार का चीरा लगाकर फायब्रॉयड के छोटे टुकड़ों को हटाने में सफलता प्राप्त की। डॉ सिंह ने कहा ऐसे मामले काफी दुर्लभ होते हैं, अभी तक 2.2 किलोग्राम वज़न के ट्यूमर केवल 10-20%मामलों में ही पाए गए हैं और ऐसे 1%मामलों में, बड़े आकार का फायब्रॉयड बढ़कर मैलिग्नेंट भी हो सकता है।