
Faridabad: फरीदाबाद में विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 की शुरुआत, मातृ-शिशु स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता अभियान तेज
रिपोर्ट: संदीप चौहान
हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह 2025 की औपचारिक शुरुआत की गई। इस मौके पर बादशाह खान सिविल अस्पताल में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लेकर जनजागरूकता पर विशेष जोर दिया गया। यह सप्ताह 01 अगस्त से 07 अगस्त तक मनाया जा रहा है, और इसका उद्देश्य माताओं को स्तनपान के महत्व के प्रति जागरूक कर नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करना और भावी पीढ़ी को एक बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करना है।
इस विशेष अभियान के तहत जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में काम कर रहे चिकित्सा अधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को स्तनपान से संबंधित वैज्ञानिक जानकारी दी जा रही है, ताकि वे समुदाय स्तर पर जाकर जागरूकता फैलाने में सक्षम बन सकें। आशा कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित किया गया है, जो घर-घर जाकर स्तनपान करवा रही माताओं से संपर्क करेंगी और उन्हें सही तरीके से शिशु की देखभाल और पोषण के बारे में बताएंगी।
सिविल अस्पताल की पीएमओ, डॉ. सत्येंद्र वशिष्ठ ने बताया कि जन्म के पहले घंटे में नवजात को माँ का पहला गाढ़ा पीला दूध, जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है, जरूर पिलाना चाहिए। यह दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है, क्योंकि यह उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसे गंभीर बीमारियों से बचाता है। उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर छह माह तक केवल स्तनपान ही पर्याप्त होता है, इस दौरान बच्चे को पानी तक देने की आवश्यकता नहीं होती।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल और डॉ. विजय रानी ने बताया कि मां का दूध नवजात के शारीरिक और मानसिक विकास में अत्यंत सहायक होता है। उन्होंने यह भी बताया कि कई माताओं को स्तनपान में कठिनाइयाँ आती हैं, जिनका समाधान संतुलित आहार और नियमित चिकित्सकीय परामर्श से संभव है। इस संदर्भ में माताओं को यह जानकारी दी जा रही है कि किस प्रकार वे अपने खान-पान और जीवनशैली में सुधार लाकर स्तनपान की प्रक्रिया को सहज और लाभकारी बना सकती हैं।
कार्यक्रम में ‘कंगारू मदर केयर’ (KMC) से जुड़ी महिला कार्यकर्ताओं ने चार्ट और चित्रों के माध्यम से माताओं को स्तनपान कराने की विधि समझाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि छह माह तक शिशु को पानी भी न दें और यदि बच्चे की आंखें पीली दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उन्होंने देसी इलाज या झाड़-फूंक जैसे उपायों से बचने की सलाह दी।
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