नई दिल्ली, 18 अक्तूबर: फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टरों ने 97 वर्षीय महिला के घुटने की टोटल रिप्लेसमेंट सर्जरी संपन्न करने में सफलता प्राप्त की है। अस्पताल के मुताबिक यह वृद्ध आर्थोपेडिक देखभाल में एक कीर्तिमान है जिसके तहत गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित और देश की सबसे उम्रदराज महिला के घुटनों को सफलतापूर्वक बदला जा सका है।
फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के ऑर्थोपेडिक, रिप्लेसमेंट और रिकंस्ट्रक्शन के डायरेक्टर डॉ. धनंजय गुप्ता ने शुक्रवार को बताया कि घुटने बदलने की सर्जरी के बाद बुजुर्ग महिला अब न सिर्फ बिना किसी सहारे के चल फिर रहीं हैं। बल्कि स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होने के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज भी हो गईं हैं। उन्होंने बताया कि घुटने के दर्द से पीड़ित रेशम देवी, पिछले 30 वर्षों से वृंदावन के एक आश्रम में स्वतंत्र रूप से रह रही थीं और पिछले साल गिर गईं थीं जिसकी वजह से उनके बाएं कूल्हे में फ्रैक्चर और हड्डी खिसकने की समस्या हो गई थी।
शुरू में उनकी कमजोर सेहत को देखते हुए उनका सामान्य उपचार किया गया, लेकिन कूल्हे में लचीलेपन की विकृति तथा दोनों घुटनों में एडवांस ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण उन्हें चलने-फिरने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन बिना किसी की मदद और सम्मान के साथ जीने के लिए दृढ़ संकल्पित रेशमी देवी ने अपनी मोबिलिटी को पूरी तरह से वापस पाने के लिए दोनों घुटनों की रिप्लेसमेंट एक साथ कराने का निर्णय किया। जबकि उन्हें तीन -तीन महीने के अंतराल पर घुटना रिप्लेस कराने की सलाह दी गई थी।
अस्पताल में भर्ती होने के समय रेशमी देवी का चलना-फिरना काफी दुष्कर था और दोनों घुटनों तथा बाएं कूल्हे में गंभीर दर्द की शिकायत थी। छह महीने से ज्यादा समय तक उन्होंने व्यापक फिजियोथेरेपी कराई और सर्जरी से पहले की तैयारी की, जिसमें उनकी हड्डियों को मजबूत करने के लिए टेरिपैराटाइड, कैल्शियम और विटामिन डी सप्लीमेंट के इंजेक्शन दिए गए थे। इसके बावजूद, उन्हें रोजमर्रा के कामकाज में दिक्कत आ रही थी और वह दूसरों की सहायता पर निर्भर थीं। अंततः डॉक्टर उनके दोनों घुटनों को बदलकर उन्हें दर्द और तकलीफ से निजात दिलाने में सफल रहे।