नई दिल्ली, 12 अगस्त : कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में महिला डॉक्टर की हत्या व रेप के विरोध में राष्ट्रव्यापी मेडिकल वैकल्पिक सेवाओं (ओपीडी, सर्जरी, वार्ड ड्यूटी) पर रोक का आह्वान सोमवार को सफल रहा। मगर, विभिन्न रोगों के उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे मरीज दिन भर परेशान रहे।
डॉक्टरों की कामरोको हड़ताल के दौरान सोमवार को राजधानी दिल्ली में किसी मरीज की सर्जरी नहीं हो सकी तो किसी मरीज का अल्ट्रासाउंड, एमआरआई या सीटी स्कैन नहीं हो सके। किसी को अस्पताल में उपचार नहीं मिला तो किसी को दवा नहीं मिली। हालांकि, संबंधित अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की सुविधा के लिए सीनियर फैकल्टी और कंसलटेंट डॉक्टरों को ओपीडी में तैनात किया था।
आरएमएल और सफदरजंग अस्पताल ने रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल के मद्देनजर अपने सभी फैकल्टी डॉक्टरों की छुट्टियां रद्द कर दी और उन्हें तुरंत अस्पताल रिपोर्ट करने के निर्देश जारी किए। दोपहर होते -होते इन दोनों अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवा थोड़ी सामान्य होने लगी। इससे शायद मंगलवार को संभावित हड़ताल के दौरान मरीजों को कुछ राहत मिल सकेगी। वहीं, इंदिरा गांधी अस्पताल प्रशासन ने ऑफिस आर्डर के जरिये तमाम विभागाध्यक्षों और वरिष्ठ डॉक्टरों को काम पर लौटने का निर्देश दिया है ताकि वैकल्पिक सेवाओं को सुचारू बनाया जा सके।
इस दौरान फोर्डा के उपाध्यक्ष डॉ सारदा प्रसाद साहू ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री से वार्ता के बाद हड़ताल जारी रखने अथवा विस्तारित करने का फैसला लिया जाएगा। हम सभी डॉक्टर अपनी महिला साथी को निष्पक्ष और त्वरित न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। साथ ही डॉक्टर सुरक्षा के लिए केंद्रीय कानून लागू करने की मांग पर अडिग हैं। डॉ साहू ने कहा डॉक्टर सुरक्षा को लेकर देश के लगभग सभी राज्यों के अस्पतालों की आरडीए हमारे साथ आ रहे हैं।
हड़ताल के दौरान सोमवार को दिल्ली के करीब 11 सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सेवा प्रभावित रही। इनमें मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल, वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल, अटल बिहारी वाजपेयी आयुर्विज्ञान संस्थान से संबद्ध अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पताल, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज से संबद्ध गुरु तेग बहादुर अस्पताल, डॉ बाबा साहब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल और सम्बद्ध अस्पताल, इंदिरा गांधी अस्पताल, मानव व्यवहार और संबद्ध विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय क्षय एवं श्वसन रोग संस्थान आदि शामिल रहे।