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डॉक्टर सुरक्षा : मरीजों- तीमारदारों – एम्स कर्मियों को फेस रिकग्निशन के बाद ही मिलेगा इमारत में प्रवेश

-मरीज की यूएचआईडी के साथ जोड़ा जाएगा चेहरे की पहचान वाला सिस्टम, 31 मार्च तक पूरा होगा प्रोजेक्ट

नई दिल्ली, 17 अक्तूबर: एम्स दिल्ली के मातृ एवं शिशु ब्लॉक में आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों के साथ एम्स कर्मियों को फेशियल रिकॉग्निशन के बाद ही इमारत में प्रवेश मिल सकेगा। इसके लिए एम्स प्रशासन ने फेशियल रिकॉग्निशन आधारित एक्सेस कंट्रोल और विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने का फैसला किया है जिसे पायलट प्रोजेक्ट के तहत ओटी और आईसीयू में लागू किया जा रहा है।

दरअसल पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हुई हत्या के बाद एम्स ने सुरक्षा को लेकर यह फैसला किया है। एम्स से मिली जानकारी के अनुसार विशेष रूप से ऑपरेटिंग थिएटर और आईसीयू सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सख्ती की जाएगी। प्रवेश पर प्रतिबंध न होने से स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा दांव पर रहती है। इसके अलावा संक्रमण की आशंका बनी रहती है।

एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास का कहना है कि आरजी कर अस्पताल में हुई घटना से सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। इसे देखते हुए एम्स परिसर में आने वाले सभी आगंतुकों की सुरक्षा में सुधार करना जरूरी है। फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके इनपेशेंट, डायग्नोस्टिक लैब और सुविधाओं, कार्यालय और अनुसंधान क्षेत्रों में अनधिकृत पहुंच को कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा, प्रोजेक्ट के सफल रहने पर इसे आगामी 31 मार्च 2025 से पूरे एम्स परिसर में लागू कर दिया जाएगा।

मरीज की यूएचआईडी के साथ जोड़ा जाएगा सिस्टम
स्वचालित प्रवेश नियंत्रण (एफआर-एसीएस) प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश को सख्ती से नियंत्रित करेगा। चेहरे की पहचान-नियंत्रित फ्लैप बैरियर का उपयोग किया जाएगा। आपातकालीन या गंभीर मामलों को छोड़कर सभी रोगियों को प्रवेश के समय एफआर-एसीएस में नामांकित किया जाएगा। मरीज की पहचान को उसके विशिष्ट स्वास्थ्य पहचान संख्या (यूएचआईडी) से जोड़ा जाएगा। डिस्चार्ज होने पर प्रवेश अधिकार स्वचालित रूप से रद्द हो जाएंगे।

सरकारी आईडी और चेहरे का पंजीकरण जरूरी
डिजिटल विजिटर प्रबंधन (वीएमएस) आगंतुकों को एफआर-एसीएस के माध्यम से अपनी पहचान प्रमाणित करने और एक समर्पित एप के माध्यम से पंजीकरण करने में सक्षम करेगा। यह प्रणाली उन्हें एम्स परिसर में प्रवेश करने की अनुमति देगी। हालांकि आने से पहले उद्देश्य बताना होगा। उसी के आधार पर उक्त क्षेत्र तक पहुंच मिलेगी। साथ ही अद्वितीय विजिटर कोड (यूवीसी) के जरिये आगंतुक को एक वैध सरकारी.आईडी और अपने चेहरे की पहचान का उपयोग करके पंजीकरण करना होगा। इसके लिए उक्त व्यक्ति के पास एक वैध आमंत्रण जरुरी होगा। वहीं, डिजिटल तकनीक से कम परिचित लोगों की सहायता के लिए विभिन्न प्रवेश जगहों पर और इन.पेशेंट क्षेत्रों में स्टाफ सुविधा उपलब्ध रहेगी जो उक्त लोगों की मदद करेगी।

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