भारत

देश के टॉप न्यूरो सर्जन ने बनाया घरेलू देखभाल मैनुअल, हेड इंजरी सर्वाइवर को मिलेगा लाभ

-न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने राष्ट्रपति को भेंट की न्यूरो ट्रॉमा होम केयर मैनुअल की पहली प्रति

नई दिल्ली, 31 मार्च (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क): भारत में हेड इंजरी या ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी (टीबीआई) के चलते करीब 10 लाख लोग हर साल जान गंवा देते हैं। वहीं, घातक दुर्घटना में मौत को चकमा देने वाले मरीज अक्सर अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उचित देखभाल के अभाव में जान गंवा देते हैं या दिव्यांगता के शिकार बन जाते हैं। ऐसे ही मरीजों के घरेलू देखभाल के लिए देश के जाने -माने 12 न्यूरोसर्जनों ने न्यूरो ट्रॉमा होम केयर मैनुअल तैयार किया है। जिसकी मदद से न सिर्फ टीबीआई से पीड़ित व्यक्ति की उचित देखभाल की जा सकेगी। बल्कि उनकी जीवन प्रत्याशा में भी सुधार लाया जा सकेगा। इस मैनुअल की पहली प्रति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेंट की गई।

न्यूरोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (एनएसआई ) के अध्यक्ष और जीबी पंत अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ दलजीत सिंह ने बताया कि देश में हेड इंजरी या सिर की गंभीर चोटों से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इनमें छोटे बच्चे (1-5 वर्ष) भी शामिल हैं जो बालकनी या छत से गिरकर घायल हो जाते हैं। इन घायलों को पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए लंबे इलाज और देखभाल की जरुरत होती है लेकिन अस्पताल में पुनर्वास सेवाओं की कमी और हेड इंजरी के नए मरीजों को उपचार मुहैया कराने की चुनौती के मद्देनजर उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है अथवा अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। अक्सर इन मरीजों को ट्रेकियोस्टोमी के साथ अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाता है।

डॉ सिंह ने बताया ट्रेकियोस्टोमी एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें रोगी की श्वास नली में एक ट्यूब लगाई जाती है ताकि व्यक्ति को नाक, मुंह और गले को दरकिनार करते हुए सांस लेने में मदद मिल सके। इसके अलावा राइल्स ट्यूब और मूत्र कैथेटर भी लगा होता है। अक्सर घर पर मरीज की देखभाल के दौरान इन नलियों में संक्रमण, रक्त स्राव, ट्यूब बंद होना व अन्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं जो कभी -कभी मरीज के लिए घातक बन जाती हैं। ऐसी ही समस्याओं का निराकरण करने के लिए न्यूरो ट्रॉमा होम केयर मैनुअल तैयार किया गया है जिसे चित्रों की मदद से पढ़ा और समझा जा सकता है। इसके अलावा एक वीडियो भी बनाया गया है जिसे जल्द ही एनएसआई और प्रमुख अस्पतालों की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा।

30% मरीजों को बचा सकता है मैनुअल
एम्स दिल्ली के जेपीएन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो सर्जन दीपक गुप्ता ने कहा न्यूरो ट्रॉमा होम केयर मैनुअल में मरीज की देखभाल, राइल्स ट्यूब फीडिंग, मूत्र कैथेटर देखभाल, दैनिक त्वचा और दबाव अल्सर देखभाल, पुनर्वास व्यायाम, गहरी शिरा घनास्त्रता (डीवीटी) की रोकथाम के अलावा आवश्यक पोषण और दवाओं की जानकारी दी गई है। वर्तमान में यदि गुणवत्तापूर्ण देखभाल शीघ्र उपलब्ध हो तो इंजरी से मरने वालों में से 30% को बचाया जा सकता है। यह मैनुअल अंग्रेजी और हिंदी सहित 12 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है। इस सचित्र मैनुअल को आसानी से पढ़ा और समझा जा सकता है।

सुरक्षित बालकनी, सुरक्षित बच्चा अभियान
डॉ दीपक गुप्ता ने कहा भारत में बालकनी, छत या खिड़की से गिरकर घायल होने वाले 60% मामलों में 1-5 वर्ष आयु के बच्चे हेड इंजरी के शिकार होते हैं। इसकी रोकथाम के लिए हमने सुरक्षित बालकनी, सुरक्षित बच्चा अभियान शुरू किया है ताकि बच्चों को गंभीर चोटों और मौतों से बचाया जा सके। इसके अलावा दोपहिया वाहन पर पीछे बैठने वालों में मृत्यु और गंभीर चोटें देखी गईं हैं जिनमें सर्वाधिक बड़ी संख्या महिलाओं की होती है। यदि वह हेलमेट पहनकर सफर करें तो इन घटनाओं में कमी लाई जा सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button