देश के सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा नंबर 2 पर, पहले पर गाजियाबाद
देश के सबसे प्रदूषित शहरों में ग्रेटर नोएडा नंबर 2 पर, पहले पर गाजियाबाद

अमर सैनी
नोएडा। सर्दी का मौसम अभी शुरू भी नहीं हुआ है और प्रदूषण का ग्राफ बढ़ने लगा है। सुबह और शाम धुंध छाने लगी। इसके अलावा दोपहर में भी धुंध देखी गई है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक बुधवार को देश के सबसे प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद पहले नंबर पर रहा। यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 275 दर्ज किया गया, जबकि ग्रेटर नोएडा दूसरे नंबर पर रहा। वहां एक्यूआई 271 रहा।
पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर अभी से जिले का प्रदूषण स्तर बिगड़ रहा है तो सर्दी के दिनों में हालात बेहद खराब हो जाएंगे। पर्यावरणविदों के मुताबिक अभी हरियाणा और पंजाब से पराली का प्रकोप शुरू भी नहीं हुआ है। उनका आरोप है कि जिले में प्रदूषण से निपटने के लिए सिर्फ कागजों पर कार्रवाई हो रही है। 201 से 300 के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स खराब श्रेणी में आता है। सड़कों पर उड़ने वाली धूल है जिम्मेदार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर की कुछ साल पहले आई एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषण सड़कों पर उड़ने वाली धूल के कारण होता है। यही स्थिति गाजियाबाद में भी है। ज्यादातर सड़कों पर अभी भी गड्ढे हैं। जहां से वाहन गुजरने पर धूल उड़ती है।
जानिए कौन है जिम्मेदार
पर्यावरणविद् का कहना है कि जब वाहन टूटी सड़कों से गुजरते हैं तो ब्रेक और क्लच दोनों का इस्तेमाल करते हैं। फिर अचानक स्पीड बढ़ा देते हैं, जिससे सामान्य से दोगुना धुआं निकलता है। अगर सड़कों पर गड्ढे न हों तो इस प्रदूषण से बचा जा सकता है। टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल और धुआं पीएम-10 और पीएम-2.5 की मात्रा बहुत ज्यादा पैदा करता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम-10 की मात्रा 56 फीसदी और पीएम 2.5 की मात्रा करीब 38 फीसदी है।
अवैध फैक्ट्रियों और पुराने वाहनों से प्रदूषण
ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में अवैध फैक्ट्रियों की संख्या अधिक होने के कारण यहां प्रदूषण का स्तर हमेशा अधिक रहता है। टूटी सड़कें और 10 से 15 साल पुराने वाहनों की अधिक संख्या के कारण भी यहां प्रदूषण का स्तर अधिक रहता है। यहां चेकिंग कम होने के कारण पुराने वाहन मनमाने तरीके से चलाए जाते हैं। जिससे हवा में पीएम-10 की मात्रा काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा टूटी सड़कें भी प्रदूषण बढ़ाने में काफी योगदान दे रही हैं।
मॉर्निंग वॉक से बचें
प्रदूषण को लेकर डॉक्टरों का कहना है कि हवा में प्रदूषक तत्व अभी काफी बढ़ गए हैं। इसलिए चार-पांच दिन तक सुबह-सुबह टहलने से बचना चाहिए। सुबह के समय प्रदूषण के कण कम रहते हैं। अगर आपको सांस संबंधी समस्या है तो इस मौसम में टहलना बंद कर देना चाहिए।