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Delhi: दिल्ली में धड़ल्ले से चल रहा अवैध लिंग निर्धारण का धंधा – 15 हजार से 70 हजार तक लिए जा रहे पैकेज, अजन्मी बेटियों पर बढ़ा खतरा

Delhi: दिल्ली में धड़ल्ले से चल रहा अवैध लिंग निर्धारण का धंधा – 15 हजार से 70 हजार तक लिए जा रहे पैकेज, अजन्मी बेटियों पर बढ़ा खतरा

नई दिल्ली, 01 दिसम्बर: देशभर में बेटियों को बचाने के लिए कड़े कानून और जागरूकता अभियानों के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण का घिनौना व्यापार लगातार फैलता जा रहा है। तीन महीने पहले दिल्ली के महिला लिंगानुपात में चिंताजनक गिरावट उजागर होने के बाद भी न किसी की मानसिकता बदली, न ही इस धंधे की रफ्तार में कोई कमी आई है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये अवैध केंद्र आम लोगों को तो आसानी से मिल जाते हैं, लेकिन प्रशासन को इनकी जानकारी तक नहीं मिल पाती — या फिर मिली जानकारी पर कार्रवाई दुर्लभ है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में तीन तरह के पैकेज तैयार किए गए हैं —

  • NIPT किट से भ्रूण लिंग जांच: ₹15,000
  • अल्ट्रासाउंड से लिंग निर्धारण: ₹50,000
  • लिंग जांच के साथ सुरक्षित गर्भपात: ₹70,000 तक

इन पैकेजों का उद्देश्य साफ है — अजन्मी बेटियों को जन्म से पहले ही खत्म कर देना।
इनमें सबसे खतरनाक भूमिका निभा रही है NIPT किट, जिसका मूल उद्देश्य तो आनुवंशिक रोगों की जांच करना था, लेकिन अब इसे भ्रूण के लड़का या लड़की होने का पता लगाने के लिए गैरकानूनी रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है।

यह परीक्षण इतना आसान बना दिया गया है कि एक छोटी सी किट में गर्भवती महिला के कुछ बूंद खून से ही भ्रूण का लिंग बता दिया जाता है। शक है कि कई पैथोलॉजी लैबों में काम कर रहे तकनीशियन इस धंधे के मुख्य ऑपरेटर हैं। किट को जेब में रखकर कहीं भी ले जाने की सुविधा के कारण यह राज्य की सीमाओं के पार भी भ्रूण जांच करने में इस्तेमाल की जा रही है।

दिल्ली सरकार ने NIPT किट को राज्य से बाहर भेजने पर रोक तो लगा रखी है, लेकिन सख्त निगरानी के अभाव में यह रोक कागजों में ही सीमित है। वर्तमान में दिल्ली में इस जांच की अनुमति सिर्फ चुनिंदा संस्थानों — डॉ. लाल पैथ लैब, जीनोमेट्रिक्स लैब, सर गंगाराम अस्पताल और मैक्स अस्पताल — को ही है, लेकिन इनके इतर भी यह जांच धड़ल्ले से की जा रही है।

यह काला कारोबार मुनाफे और सामाजिक भेदभाव के गठजोड़ से पनप रहा है। नतीजा — दिल्ली में महिला जन्म अनुपात लगातार गिर रहा है और आने वाली पीढ़ियों में बेटियों का भविष्य खतरे में है। सवाल यह है कि जब समाज और प्रशासन दोनों जान रहे हैं कि हर गर्भ में पल रही बेटी एक इंसान है, तो आखिर कब ये व्यापार बंद होगा?

अवैध भ्रूण लिंग परीक्षण न सिर्फ अपराध है —
यह मां की कोख में पल रही बेटी की हत्या का मार्ग है।
और यह दुखद सच है कि दिल्ली अभी इस अपराध से मुक्त होने से काफी दूर है।

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