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Child Obesity India: फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग में चाइल्ड ओबेसिटी क्लीनिक की शुरुआत, बचपन में बढ़ते मोटापे के खिलाफ बड़ा कदम

Child Obesity India: फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग में चाइल्ड ओबेसिटी क्लीनिक की शुरुआत, बचपन में बढ़ते मोटापे के खिलाफ बड़ा कदम

नई दिल्ली, 1 दिसंबर। देश में बच्चों में तेजी से बढ़ रही मोटापे की समस्या अब एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के रूप में उभर रही है। इसी चुनौती का समाधान तलाशने के उद्देश्य से फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग ने सोमवार को मल्टीडिसिप्लीनरी चाइल्ड ओबेसिटी क्लीनिक की शुरुआत की। इस क्लीनिक का लक्ष्य बच्चों में मोटापे के वैज्ञानिक और व्यापक उपचार के साथ-साथ प्रारंभिक चरण में निदान को सुलभ बनाना है ताकि जटिल बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सके।

नए क्लीनिक में बाल रोग विशेषज्ञों, पोषण विशेषज्ञों, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट, फिजिकल ट्रेनर्स, मनोवैज्ञानिकों और लाइफस्टाइल मैनेजमेंट विशेषज्ञों को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है। इससे बच्चों को व्यक्तिगत और संपूर्ण उपचार उपलब्ध होगा, जिसमें डाइट प्लान, एक्सरसाइज प्रोग्राम, मनोवैज्ञानिक सहायता और हार्मोन से जुड़ी चिकित्सा को एकीकृत किया जाएगा। इस सुविधा का शुभारंभ बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. अरविंद कुमार और सुविधा निदेशक नवीन शर्मा ने किया।

लॉन्च कार्यक्रम के दौरान स्कूल-going बच्चों के लिए पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, साथ ही उनके माता-पिता, प्रिंसिपल और शिक्षकों के लिए इंटरैक्टिव सेशन भी आयोजित किए गए जिनमें 300 से अधिक विद्यार्थी और अभिभावकों ने भाग लिया। विशेषज्ञों ने बच्चों में बढ़ते मोटापे के कारण, उससे जुड़े जोखिम और रोकथाम के उपायों पर विस्तृत चर्चा की।
राष्ट्रीय और वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बाल्यावस्था में बढ़ता मोटापा भविष्य में गंभीर आपदा का रूप ले सकता है। हाल ही में प्रकाशित लांसेट रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक भारत में 40 करोड़ से अधिक लोग मोटापे और अधिक वजन की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। अनुमान बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में पाँच में से एक बच्चा मोटापे या ओवरवेट की समस्या से जूझ रहा है, और उनमें वयस्क आयु में भी मोटापाग्रस्त होने की संभावना पाँच गुना अधिक होती है।

कम उम्र में मोटापे के कारण 12–14 वर्ष के बच्चों में मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, हार्मोनल असंतुलन, हृदय रोग, जोड़ों में दर्द, मानसिक अवसाद और आत्मविश्वास में कमी जैसी गंभीर समस्याएं तेजी से उत्पन्न हो रही हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यह समस्या केवल पोषण और लाइफस्टाइल तक सीमित नहीं है बल्कि सामाजिक और मनोवैज्ञानिक विकास पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो वर्ष 2050 तक देश में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या 44 करोड़ पार कर सकती है। उन्होंने नागरिकों से स्वस्थ खानपान अपनाने, तली-भुनी व अधिक वसा युक्त चीजों का सेवन सीमित रखने तथा रोजाना व्यायाम और खेल को जीवनशैली का हिस्सा बनाने की अपील की।

बच्चों में बढ़ती निष्क्रिय जीवनशैली, अत्यधिक स्क्रीन टाइम और शहरीकरण की तेज रफ्तार ने इस समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अब यह आवश्यक हो गया है कि इस चुनौती से निपटने के लिए वैज्ञानिक हस्तक्षेप, जागरूकता अभियानों और सामुदायिक सहयोग की दिशा में तेज कदम उठाए जाएं।
फोर्टिस अस्पताल शालीमार बाग की इस पहल को बाल स्वास्थ्य की रक्षा और भविष्य के स्वस्थ भारत के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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