
नई दिल्ली, 27 जुलाई: राजधानी का राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल अरसे से डॉक्टरों व प्रशासनिक अफसरों की बाट जोह रहा है। जिसके चलते अस्पताल की व्यवस्था चौपट होने के साथ मरीजों की भी दुर्दशा होने का सिलसिला जारी है। यहां अनेक पद खाली पड़े है जिनमें डॉक्टरों के 85 स्वीकृत पदों में से 60 और 83 प्रशासनिक पदों में से 76 पद खाली हैं। इसमें चिकित्सा अधीक्षक का पद भी शामिल है। यानी 650 बेड की क्षमता वाला अस्पताल मात्र 20 प्रतिशत स्टाफ के भरोसे ही चल रहा है, जबकि सरकारी नियम कम से कम 40 प्रतिशत स्टाफ की तैनाती अनिवार्य बताते हैं।
इसके अलावा अस्पताल में 12 ऑपरेशन थिएटर में से केवल 4 ही चालू हालत में है। डॉक्टरों का कहना है कि वेतन समय पर नहीं मिलने के कारण डाॅक्टर अस्पताल छोड़कर जाने लगे है। यह स्थिति पिछले तीन साल से लगातार जारी है। कुछ मशीनें भी खराब होकर बंद हो गई। अस्पताल में पिछले आठ सालों से भर्ती नहीं हुई है। पिछले एक साल में समय पर वेतन न मिलने की वजह से 10 डॉक्टर अस्पताल छोड़कर जा चुके हैं। स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं होने की वजह से कई विभाग ठप हैं। ठप होने वाले विभागों में गैस्ट्रो, सर्जरी, नेफ्रोलॉजी, क्रिटिकल केयर और रेडियोलॉजी शामिल हैं।
इस संबंध में यूनाइटेड डॉक्टर्स फ्रंट एसोसिएशन (यूडीएफए) के राष्ट्रीय महासचिव डॉ अरुण कुमार का कहना है कि सबसे बुरा हाल यहां के कार्डियोलॉजी विभाग का है। अस्पताल जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के सहारे चल रहा है। अस्पताल में जरूरत के अनुसार स्टाफ भर्ती कर लिया जाए तो यहां 10 हजार मरीजों का प्रतिदिन इलाज हो सकता है। लेकिन अभी सिर्फ 1000 या 1500 मरीजों का ही इलाज हो पा रहा है। उन्हाेंने कहा कि पिछले ढाई साल से एमएस तक नहीं मिला है। हमारी मांग है जल्द से जल्द पदों को भरा जाए। इस संबंध में अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ आशीष गोयल का कहना है कि फैकल्टी की भर्ती प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। इन पदों पर भर्ती होने के बाद डॉक्टर और प्रशासनिक विभाग में खाली पदों पर भर्ती करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।