नई दिल्ली, 14 जुलाई :विकलांगों और बुजुर्गों के लिए सहायक प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण घटक है जो उनके दैनिक जीवन में सुगमता और स्वतंत्रता प्रदान करती है। यह बातें सफदरजंग अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना तलवार ने शनिवार को कहीं। वह फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) सह कार्यशाला में बोल रही थी।
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रविंदर सिंह ने कहा, सहायक प्रौद्योगिकी में तेजी से हो रही प्रगति ने ऐसे उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित की है जो आज लगभग तमाम विकलांगों और बुजुर्गों की पहुंच में हैं। आईसीएमआर में हमारा ध्यान ऐसे शोध का समर्थन करना है जो इन नवाचारों को रोगियों के लिए व्यावहारिक, जीवन-परिवर्तनकारी समाधानों में बदल सके। इस अवसर पर पीएमआर के एचओडी डॉ. अजय गुप्ता और सुमन बधाल मौजूद रहे।
क्या है सहायक प्रौद्योगिकी
श्रवण, दृष्टि और शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रयोग किए जाने वाले उपकरणों को सहायक प्रौद्योगिकी कहा जाता है। इसका सर्वाधिक उपयोग करने वालों में बुजुर्ग और विकलांग व्यक्ति शामिल हैं। बुज़ुर्ग व्यक्ति मुख्य रूप से व्यक्तिगत देखभाल के लिए अपनी क्षमता बनाए रखने के लिए कम तकनीक वाले उपकरणों का उपयोग करते हैं। जैसे, बाथरूम में ग्रैब बार, विशेष रसोई के बर्तन, अधिक रोशनी, बेंत और वॉकर आदि। बच्चे और युवा वयस्क फ़ुट ब्रेसेस, कृत्रिम हाथ या हाथ अनुकूलित टाइपराइटर या कंप्यूटर और लेग ब्रेसेस जैसे उपकरणों का उपयोग करते हैं।