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BR Ambedkar Death Anniversary: डॉ. अंबेडकर के अंतिम दिन कैसे गुजरे?

डॉ. भीमराव अंबेडकर के आखिरी दिन कैसे गुजरे? पुण्यतिथि पर जानें उनके अंतिम क्षणों की कहानी, जब उन्होंने बुद्धम शरणम गच्छामि गाया और "द बुद्धा एंड हिज धम्मा" पर काम किया।

BR Ambedkar Death Anniversary:  डॉ. भीमराव अंबेडकर: आखिरी दिन की कहानी

BR Ambedkar Death Anniversary:  डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्होंने भारतीय संविधान का निर्माण किया और दलितों को उनका अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी, 6 दिसंबर 1956 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी अंतिम रात और दिन के किस्से उनके जीवन के गहनतम पहलुओं को दर्शाते हैं।

BR Ambedkar Death Anniversary: 5 दिसंबर 1956: दिन की शुरुआत

  • सुबह देर से उठने के बाद अंबेडकर ने अपने सहायक नानक चंद रत्तू को दफ्तर जाने की इजाजत दी।
  • उनकी पत्नी सविता आंबेडकर और डॉक्टर मालवंकर बाजार चले गए।
  • शाम को सविता आंबेडकर के देर से लौटने पर बाबा साहेब ने नाराजगी जताई, लेकिन रत्तू की समझदारी से माहौल शांत हो गया।

BR Ambedkar Death Anniversary: जैन प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात

शाम को 8 बजे जैन धर्म के प्रतिनिधि उनसे मिलने आए।

  • अंबेडकर ने अपनी थकान के बावजूद उनसे मुलाकात की।
  • बुद्ध और जैन धर्म पर चर्चा की और उन्हें अगले दिन के कार्यक्रम में आने का आश्वासन दिया।

BR Ambedkar Death Anniversary: रात का समय: गानों और किताबों के बीच

रात में अंबेडकर ने:

  1. “बुद्धं शरणं गच्छामि” गाया और रिकार्ड बजाने का निर्देश दिया।
  2. किताबें पढ़ने और “द बुद्धा एंड हिज धम्मा” की भूमिका पर काम किया।
  3. थोड़ा चावल खाया और कबीर के भजन “चल कबीर तेरा भव सागर” को गुनगुनाते रहे।

रात में उन्होंने सोने से पहले किताबों को अपने पास रखने को कहा और सो गए।

BR Ambedkar Death Anniversary:  6 दिसंबर 1956: सुबह का सन्नाटा

सुबह 6:30 बजे उनकी पत्नी ने पाया कि वह दुनिया छोड़ चुके हैं।

  • नानक चंद रत्तू को बुलाया गया, जिन्होंने उन्हें होश में लाने की कोशिश की, लेकिन प्रयास असफल रहे।
  • यह खबर तेजी से फैली, और देश में शोक की लहर दौड़ गई।

BR Ambedkar Death Anniversary: अंतिम संस्कार: मुंबई में लाखों ने दी श्रद्धांजलि

उनके पार्थिव शरीर को बौद्ध रीति-रिवाजों से मुंबई ले जाया गया, जहां लाखों लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़े।

  • हालांकि, उनकी पत्नी चाहती थीं कि अंतिम संस्कार सारनाथ में हो, लेकिन उनकी अंतिम यात्रा मुंबई में संपन्न हुई।

BR Ambedkar Death Anniversary:  अंबेडकर का दृष्टिकोण: जीवन का अंत पहले से महसूस

डॉ. अंबेडकर ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में महसूस कर लिया था कि उनकी जीवन यात्रा जल्द खत्म होगी। उन्होंने अपने सहायक को इस बारे में पहले ही पत्र लिखा था।

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