Jagannath Chattopadhyay: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे बीजेपी नेता जगन्नाथ चट्टोपाध्याय, राष्ट्रपति ने जांच का दिया निर्देश

Jagannath Chattopadhyay: भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे बीजेपी नेता जगन्नाथ चट्टोपाध्याय, राष्ट्रपति ने जांच का दिया निर्देश
कोलकाता/नई दिल्ली – पश्चिम बंगाल की राजनीति में रविवार को उस समय भूचाल आ गया जब राष्ट्रपति भवन ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेश महासचिव जगन्नाथ चट्टोपाध्याय के खिलाफ भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतों को संज्ञान में लेते हुए राज्य सरकार को त्वरित जांच के निर्देश दे दिए। राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर यथाशीघ्र जांच सुनिश्चित की जाए।
हावड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता उदय सिंह द्वारा की गई इस शिकायत में चट्टोपाध्याय पर बेनामी संपत्ति, पार्टी फंड की हेराफेरी, फर्जी बूथ कमेटियों के निर्माण और टीएमसी को गुप्त डाटा लीक करने जैसे संगीन आरोप लगाए गए हैं। शिकायत के साथ दस्तावेज़, तस्वीरें और एक व्हिसलब्लोअर रिपोर्ट भी संलग्न की गई है, जिसे एक पूर्व बीजेपी कार्यकर्ता ने तैयार किया है।
शिकायत के अनुसार, चट्टोपाध्याय ने 2021 से अब तक करोड़ों की बेनामी संपत्तियाँ खरीदीं, जो उनके बूढ़े माता-पिता, बेरोज़गार रिश्तेदारों और ससुराल पक्ष के नाम पर हैं। इसके अलावा उन्होंने पार्टी के “बूथ सशक्तिकरण अभियान” के तहत जारी ₹20,000 के फंड को 400 से अधिक फर्जी बूथ कमेटियों के माध्यम से ₹4 करोड़ तक की राशि में हेराफेरी की। सबसे गंभीर आरोप यह है कि उन्होंने पार्टी के डाटा सेंटर प्रभारी रहते हुए मतदाता सूचियों, बूथ स्तर की रणनीतियों और कार्यकर्ता सूचनाओं को कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस को बेच दिया, जिसके बदले में उन्हें आर्थिक लाभ और राजनीतिक संरक्षण मिला।
शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि चट्टोपाध्याय और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच पिछले वर्षों में कई बार संपर्क हुआ। दोनों ने हेलीकॉप्टर यात्राएं कीं और त्योहारी उपहारों का आदान-प्रदान भी हुआ। इतना ही नहीं, उन्होंने कांग्रेस नेता मानस भुइयां को टीएमसी में शामिल करवाने में भी अहम भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति सचिवालय के अवर सचिव गौतम कुमार द्वारा 2 जुलाई 2025 को भेजे गए पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रस्तुत याचिका जांच योग्य है और इसे राज्य सरकार की शीर्ष प्रशासनिक इकाई के पास कार्रवाई के लिए भेजा जा रहा है। चूंकि यह राष्ट्रपति भवन की सीधी पहल है, इसलिए इसे केवल एक साधारण शिकायत नहीं माना जा सकता।
अगर आरोपों की पुष्टि होती है, तो चट्टोपाध्याय पर कई आपराधिक कानूनों के तहत कार्रवाई संभव है, जिनमें शामिल हैं – बेनामी संपत्ति निषेध अधिनियम, धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA), भारतीय दंड संहिता की धाराएँ 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), 120B (षड्यंत्र), और व्हिसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014।
शिकायतकर्ता उदय सिंह ने अपनी याचिका में मांग की है कि चट्टोपाध्याय की सभी संपत्तियों की स्वतंत्र जांच हो, फर्जी बूथों की पहचान और फंडिंग ट्रैक की जाए, डाटा लीक मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों जैसे सीबीआई और ईडी द्वारा की जाए, और दोष सिद्ध होने पर चट्टोपाध्याय को पार्टी से निष्कासित कर कानूनी कार्यवाही की जाए। साथ ही, उन्होंने मामले में व्हिसलब्लोअर अजय मुखर्जी को सरकारी सुरक्षा देने की भी मांग की है।
अब जबकि मामला मुख्य सचिव तक पहुंच चुका है, इसके आगे तीन संभावनाएं बनती हैं – राज्य सरकार अपनी ओर से स्वतंत्र जांच बैठा सकती है, केंद्रीय एजेंसियां स्वतः संज्ञान लेकर जांच शुरू कर सकती हैं, और भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व आंतरिक अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद भाजपा पर सार्वजनिक जवाबदेही का भारी दबाव बन गया है। यह केवल किसी एक नेता का मामला नहीं, बल्कि पार्टी की नैतिकता की भी अग्निपरीक्षा बनता जा रहा है। शिकायतकर्ता उदय सिंह के शब्दों में – “यह केवल एक व्यक्ति की बेईमानी नहीं है, यह पूरे संगठन की नैतिकता की परीक्षा है।”
फिलहाल भाजपा या खुद जगन्नाथ चट्टोपाध्याय की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन यदि आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह प्रकरण बंगाल की राजनीति में ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी भाजपा की छवि और संगठनात्मक शुचिता के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।