भीषण गर्मी लगेगी कूल जब शरीर बनेगा योग के अनुकूल
-गर्मी के मौसम में शरीर को शीतलता प्रदान करता है शीतली और शीतकारी प्राणायाम
नई दिल्ली, 22 मई : भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए योग काफी मददगार साबित हो सकता है। अगर आप अपने परिवार के साथ रोजाना सुबह 10 मिनट शीतली प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम करते हैं तो गर्मी के दुष्प्रभाव से निजात मिल सकती है। यह जानकारी एम्स दिल्ली के एनाटॉमी विभाग की प्रोफेसर डॉ रीमा दादा ने ‘बीट द हीट विद योग’ अभियान के तहत बुधवार को दी।
उन्होंने कहा एम्स विभिन्न रोगों के उपचार में योग और योगासन के प्रभाव विषय पर लंबे समय से शोध कर रहा है जिसके तहत शीतली प्राणायाम, शीतकारी प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम जैसे तीन आसन गर्मी के मौसम में भीषण गर्मी से राहत प्रदान करने में लाभदायक साबित हुए हैं। डॉ दादा ने कहा, भारत में योगाभ्यास की एक समृद्ध परंपरा है। व्यापक समीक्षाओं से पता चला है कि मरीजों के लिए योग संभावित रूप से फायदेमंद है। इसमें तनाव में कमी और स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के शरीर क्रिया विज्ञान में संशोधन के माध्यम से बीपी को कम करने की क्षमता है। प्राणायाम सांस को लम्बा करने और नियंत्रित करने की कला है और यह सांस लेने के पैटर्न और सांस लेने की आदतों को दोबारा आकार देने के प्रति सचेत जागरूकता लाने में मदद करता है।
डॉ दादा ने कहा,मौसम में बदलाव के साथ राजधानी दिल्ली में भीषण गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में हमें अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। ऐसे में शीतली प्राणायाम करने से पूरे शरीर पर शीतलन प्रभाव पड़ता है, जिससे मन और शरीर शांत होता है। इसके अलावा शीतकारी प्राणायाम और भ्रामरी प्राणायाम गर्मियों के लिए एक बेहतरीन प्राणायाम है, जिसके नियमित अभ्यास से शरीर का तापमान सही रहता है और मन को शांति मिलती है। उन्होंने कहा चंद्रनाड़ी, शीतली और शीतकारी प्राणायाम में काफी अंतर है। चंद्रनाड़ी का अभ्यास सिर्फ नाक के बाएं नथुनों से सांस लेकर किया जाता है, जबकि शीतली प्राणायाम का अभ्यास मुड़ी हुई जीभ के माध्यम से ठंडी हवा अंदर लेकर किया जाता है और शीतकारी प्राणायाम का अभ्यास बंद दांतों के माध्यम से मुंह के किनारों से हवा अंदर लेकर किया जाता है। वहीं, भ्रामरी प्राणायाम मस्तिष्क को ठंडा रखता है। भ्रामरी प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले अपने हाथों की उंगलियों से अपने कान और आंखों को बंद करें और गले के माध्यम से ‘म’ ध्वनि का उच्चारण करना चाहिए। यह एक ऐसा प्राणायाम है, जिसे करने पर भौंरे की गूंज सुनाई देती है।