नई दिल्ली, 20 अगस्त : कार्यस्थल पर स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने मंगलवार को एक एडवाइजरी जारी की। इसके मुताबिक हिंसा की स्थिति में चिकित्सा संस्थान के निदेशक या अधीक्षक को डॉक्टरों से शिकायत प्राप्त होने के 6 घंटे के भीतर पुलिस में एफआईआर दर्ज करानी होगी। वहीं, चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा का जिम्मा विभागाध्यक्षों को सौंपा जाएगा।
दरअसल, यह फैसला हाल ही में देश को झकझोर देने वाली शर्मनाक घटनाओं के आलोक में लिया गया है। इसके तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक ने सभी चिकित्सा निदेशकों और चिकित्सा अधीक्षकों से एक समिति बनाने के लिए कहा गया है जो अस्पताल की सुरक्षा योजना तैयार करेगी। इस समिति में अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर (अधिमानतः एचओडी) और रेजिडेंट डॉक्टरों के साथ नर्सों के प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे। सुरक्षा योजना में “कोड वायलेट” और सभी डॉक्टरों एवं परिधीय कर्मचारियों के लिए संभावित तैयारी और प्रशिक्षण शामिल होना चाहिए।
सुरक्षा योजना में दुर्घटना में हताहत और आपातकालीन सेवाओं के दौरान डॉक्टरों को मरीजों के परिचारकों और परिवार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए विशेष प्रावधान होंगे। अस्पताल की सुरक्षा योजना को संबंधित जिले के पुलिस उपायुक्त और पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस कार्यालय के साथ साझा किया जाएगा और एक प्रति दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक को भी भेजनी होगी। इसके अलावा पुलिस एफआईआर दर्ज कराने में निष्क्रियता का जवाब भी लिखित में देना होगा।