पम्बन रेल ब्रिज उद्घाटन के बाद, रामेश्वरम-धनुषकोणी ट्रेन सेवा विस्तार परियोजना पर केंद्र सरकार की नज़र
1964 की सुनामी में तबाह हुई इस रेल लाइन परियोजना को दुबारा पंख देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में रामेश्वरम-धनुषकोणी रेल परियोजना की आधारशिला रखी थी। पर्यावरण सेंसेटिव जोन के खतरे और राज्य सरकार द्वारा जमीन अधिग्रहण की प्रकिया में देरी के कारण इस परियोजना में हो रही हैं देरी।
अभिषेक ब्याहुत
धनुषकोडी (रामेश्वरम)
तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप को रेल संपर्क से जोड़ने वाला भारत का पहला वर्टिकल-लिफ्ट पम्बन ब्रिज बन कर तैयार हो गया है। इस ब्रिज के उद्घाटन के बाद केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय रामेश्वरम रेलवे स्टेशन से धनुषकोणी तक ट्रेन सेवा विस्तार परियोजना की रफ़्तार की कवायद को तेज करेंगी।
वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री ने रखी थी इस परियोजना की आधारशिला
वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामेश्वरम-धनुषकोणी रेल परियोजना की आधारशिला रख दी थी हालांकि पांच वर्ष बाद भी अभी तक इस परियोजना को पंख नहीं मिला है। समुद्री जीवों के पर्यावरण के खतरे और तमिलनाडु सरकार से जमीन अधिग्रहण की प्रकिया में देरी के कारण इस परियोजना में देरी हो रही हैं। इन मुद्दों पर केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार की बात चीत चल रही है। यदि दोनों सरकारों के बीच जमीन अधिग्रहण और पर्यावरण सेंसेटिव जोन के खतरे जैसे मुद्दों पर आपसी सहमति बन जाती है, तो जल्द ही इस परियोजना को रफ्तार देने की कवायद शुरू हो जाएगी। अगले कुछ वर्षों में रामेश्वरम रेलवे स्टेशन से धनुषकोडी तक ट्रेन दौड़ने लगेंगी।
ऐतिहासिक रेल लाइन को पुनर्जीवित करने का है प्रयास
1964 में आई विनाशकारी सुनामी के कारण खत्म हुई इस ऐतिहासिक रेल लाइन को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। 2018 -2019 में रामेश्वरम को धनुषकोडी से फिर से रेल मार्ग से जोड़ने के लिए सर्वे हुआ, लाइन स्वीकृत हुई और धनराशि भी स्वीकृत हो गई हुई। रेलवे की इस महत्वाकांक्षी परियोजना से न केवल धनुषकोडी की रेल विरासत लौटेगी, बल्कि इस क्षेत्र में पर्यटन और विकास को भी नई दिशा मिलेगी।
1964 के सुनामी में तबाह हो गया था रामेश्वरम-धनुषकोडी रेल लिंक, प्रमाण आज भी है मौजूद
वर्ष 1964 तक अग्रेजों द्वारा निर्मित रेल ब्रिज से रामेश्वरम से धनुषकोडी तक रेल का संचालन होता था। 22-23 दिसंबर 1964 को आई भीषण सुनामी में धनुषकोडी रेलवे स्टेशन, रेल लाइन और बुनियादी ढांचा पूरी तरह तहस-नहस हो गया। वर्तमान में इस रेल लाइन और रेलवे स्टेशन के प्रमाण आज भी मौजूद है, जिसे लोग आज भी देखने जाते है। यह स्टेशन भारत और श्रीलंका के बीच यात्रा का मुख्य संपर्क बिंदु भी था। यहां से सीलोन (अब श्रीलंका) के लिए स्टीमर सेवाएं संचालित होती थीं। इस आपदा में सैकड़ों लोग, जिनमें ट्रेन कर्मचारी और यात्री शामिल थे, अपनी जान गंवा बैठे। इसके बाद इस रेल लाइन को बहाल करने की कोई पहल नहीं हुई।
क्या है रामेश्वरम-धनुषकोडी ट्रेन सेवा विस्तार परियोजना
मार्च 2019 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामेश्वरम-धनुषकोडी रेल परियोजना की आधारशिला रखी। इस परियोजना में प्रस्तावित 17.3 किलोमीटर लंबी ब्रॉडगेज लाइन में 13 किलोमीटर का एलिवेटेड ट्रैक शामिल होगा, जो आधुनिक इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा। इस लाइन पर तीन हॉल्ट स्टेशन और एक टर्मिनल स्टेशन बनाए जाएंगे। परियोजना की कुल लागत 733.91 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें से 17.61 करोड़ रुपये अब तक शुरुआती कार्यों पर खर्च हो चुके हैं।
पर्यावरण और जमीन अधिग्रहण में फंसा है पेंच
हालांकि इस परियोजना को जमीन और पर्यावरण संबंधी मंजूरियों का इंतजार है। परियोजना के लिए 3.66 हेक्टेयर निजी भूमि, 28.61 हेक्टेयर वन भूमि, और 43.82 हेक्टेयर सरकारी भूमि की आवश्यकता है। तमिलनाडु सरकार ने पर्यावरण से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर रेलवे को जवाब दिया है। राज्य सरकार ने रेलवे को इस परियोजना को संशोधित करने के लिए पत्र लिखा था। यदि इन अड़चनों को सुलझा लिया जाता है, तो परियोजना पर काम तेज गति से आगे बढ़ सकता है।
सड़क के अलावा रेल यात्रा से बढ़ेगा पर्यटन
इस रेल लिंक के पुनर्निर्माण से धनुषकोडी तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा। यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और भौगोलिक रूप से भी खास है। रामेश्वरम आने वाले लाखों पर्यटक आसानी से धनुषकोडी पहुंच सकेंगे, जिससे क्षेत्र में पर्यटन को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा।
इतिहास में धनुषकोडी का महत्व
धनुषकोडी भारतीय रेलवे का एक ऐतिहासिक स्टेशन था, जो श्रीलंका के सीलोन और भारत के मंडपम के बीच संपर्क का मुख्य बिंदु था। इस क्षेत्र को पंबन द्वीप के टॉप पर स्थित होने के कारण खास पहचान मिली है। 1964 से पहले, यहां से स्टीमर सेवाएं संचालित होती थीं, जो भारत और श्रीलंका के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करती थीं।
यह परियोजना एक मील का पत्थर साबित होगी
यदि तमिलनाडु सरकार से जरूरी मंजूरियां मिल जाती हैं, तो यह परियोजना एक मील का पत्थर साबित होगी। यह न केवल धनुषकोडी की रेल विरासत को लौटाएगी, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास को भी गति देगी। रेलवे का यह कदम मोदी सरकार की “विरासत के साथ विकास” की नीति का सटीक उदाहरण है।
रामेश्वरम-धनुषकोडी रेल लिंक परियोजना उन सैकड़ों यात्रियों और कर्मचारियों के सपने को साकार करेगी, जो 1964 की सुनामी में अपनी जान गंवा बैठे थे। अब, दशकों बाद, यह क्षेत्र एक बार फिर रेल इंजन की सीटी और यात्रियों की चहल-पहल से गुलजार होगा।
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