नई दिल्ली, 23 अगस्त : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को जारी एक आदेश के तहत सभी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) एंव मेडिकल कॉलेजों और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों (आईएनआई) के दीक्षांत समारोह में छात्रों के लिए भारतीय वेशभूषा अनिवार्य कर दी है। यानी मेडिकल की डिग्री लेने के दौरान डॉक्टर अब लंबे काले गाउन और टोपी की जगह पारंपरिक वस्त्रों में नजर आएंगे।
यह आदेश स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) अनुभाग -I के अवर सचिव ने प्रधान मंत्री द्वारा प्रतिपादित पंच प्रण (पांच संकल्प) के तहत जारी किया है। आदेश के मुताबिक, वर्तमान में मंत्रालय के विभिन्न संस्थानों द्वारा दीक्षांत समारोह के दौरान काले वस्त्र और टोपी का उपयोग किया जा रहा है। इस पोशाक की उत्पत्ति यूरोप में मध्य युग में हुई थी और इसे अंग्रेजों ने अपने सभी उपनिवेशों में पेश किया था। उपरोक्त परंपरा एक औपनिवेशिक विरासत है जिसे बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए देश के विभिन्न राज्यों में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने वाले सभी एम्स और आईएनआई सहित मंत्रालय के अन्य संस्थानों को स्थानीय परंपराओं के आधार पर अपने संस्थान के दीक्षांत समारोह के लिए उपयुक्त भारतीय ड्रेस कोड डिजाइन करने होंगे।
क्या है पंच प्रण ?
इसके तहत ‘विकसित भारत का लक्ष्य, गुलामी के हर अंश से मुक्ति, अपनी विरासत पर गर्व, एकता व एकजुटता तथा नागरिकों में कर्तव्य की भावना’ जैसे पांच लक्ष्य चिन्हित किए गए हैं। ये वो लक्ष्य हैं जिनको लक्षित करके पंच प्रण की अवधारणा को अंगीकार किया गया है।