उत्तर प्रदेश, नोएडा: एक साल से बंद है जिम्स का 500 लीटर का ऑक्सीजन प्लांट
उत्तर प्रदेश, नोएडा: एक साल से बंद है जिम्स का 500 लीटर का ऑक्सीजन प्लांट

अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। कोविड को लेकर जगह-जगह अलर्ट किया जा रहा है। यहां भी स्वास्थ्य विभाग तैयार होने का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही मिली। कासना स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में ऑक्सीजन जरुरत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। यहां चार ऑक्सीजन प्लॉट में से एक बंद है। हर माह 20 हजार लीटर ऑक्सीजन बाहर से मंगवानी पड़ रही है। यहीं हाल अन्य क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों का है। वहां कोविड से निपटने की तैयारी नहीं है।
कोविड के समय ऑक्सीजन की काफी कमी रही थी। उसके बाद सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए गए। ताकि ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सके। वहीं अब एक बार फिर कोविड के केस बढ़ने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी होने का दावा किया है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। जिम्स अस्पताल में चार ऑक्सीजन प्लांट लगे हैं। इनमें से एक 1000 लीटर, एक 500 लीटर और दो 150-150 लीटर के प्लांट लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि इनमें से मौजूदा समय में 1000 और 150-150 लीटर के तीन ही प्लांट चालू हैं। पिछले करीब एक साल से 500 लीटर का प्लांट बंद पड़ा हुआ है। बताया गया है कि इसकी सर्विस होनी है। सर्विस नहीं होने के कारण यह बंद है। यहां पर 08 टेक्नीशियन काम कर रहे है। अस्पताल में एक लिक्विड मेडिसिन प्लांट 10 किलो हजार लीटर का लगा हुआ है। जोकि संचालित है। वहीं नए भवन में भी एक 20 हजार किलो लीटर का प्लांट लगाया गया है।
20 हजार लीटर बाहर से आती है ऑक्सीजन
बताया गया है कि मौजूदा समय में करीब 200 ऑक्सीजन बेड हैं। बाल रोग विभाग, आईसीयू, एनआईसीयू और ओटी के लिए ग्रेटर नोएडा के आईनॉक्स एयर कंपनी से महीने में 20 हजार लीटर ऑक्सीजन मंगानी पड़ती है। वहीं, जिम्स परिसर में लगे एक हजार लीटर वाले प्लांट को सप्ताह में एक बार चलाया जाता है और 150-150 लीटर वाले प्लांट को सिलेंडर भरने के लिए सप्ताह में दो से तीन बार चलाए जाते हैं।
21 हजार लीटर का प्लांट लगा है शारदा अस्पताल में
शारदा अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. अजीत कुमार ने बताया कि उनके यहां 21 हजार लीटर का एक ऑक्सीजन प्लांट लगा हुआ है। यहां 1200 ऑक्सीजन बेड हैं। उनका दावा है कि अगर इमरजेंसी पड़ती है तो तत्काल में 100 बेड अलग से व्यवस्था हो सकती है। उनके पास 60 इमरजेंसी बेड की हमेशा व्यवस्था रहती है। अस्पताल में 1500 से अधिक बेड की व्यवस्था है।
कोविड में की व्यवस्था अब नहीं
दनकौर। यहां के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी अशोक कुमार ने बताया कि केंद्र पर कोरोना के वक्त जांच की व्यवस्था की थी, लेकिन अब इस केंद्र की अधिकांश स्वास्थ्य सेवाओं को सीएचसी डाटा पर व्यवस्थित कर दिया गया है। वहीं से इस केंद्र को संचलित किया जाता है। यहां एक डॉक्टर ही ओपीडी में मरीज देखता है।
ऑक्सीजन प्लांट चालू पर टेक्नीशियन नहीं
दादरी। कस्बे के जीटी रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर ऑक्सीजन प्लांट चालू है। इसके साथ ही आइसोलेशन वार्ड बना है। ऑक्सीजन प्लांट के लिए टेक्नीशियन नहीं है। जिस कारण स्टाफ को ट्रेनिंग कराकर चलाया जा रहा है । ऑक्सीजन कसंलट्रेटर 10 लीटर के 40 और 5 लीटर के 45 हैं । तथा आक्सीजन सिलेंडर 30 है । और 30 बैड पर ऑक्सीजन सप्लाई चालू है। वहीं, केंद्र प्रभारी रविंद्र कुमार ने बताया कि एनटीपीसी की ओर से कोविड वार्ड के लिए भवन बना बनाया गया था। जिसे बाद में 06 माह के लिए पुलिस ऑफिस बना लिया गया, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी खाली नहीं किया गया है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं कोई इंतजाम
बिलासपुर। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कोविड से निपटने के लिए कोई तैयारी नहीं है। बिजली से चलने वाली ऑटोमेटिक हैंड सेनीटाइज मशीन कोविड के बाद नहीं चलने के कारण खराब हो गई है। ऑक्सीमीटर कंसल्टरेटर पल्स मशीन अस्पताल में उपलब्ध है। चिकित्सक डॉ. रमेश चावरा ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था नहीं है।
ऑक्सीजन प्लांट की नहीं सुविधा
रबूपुरा। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर ऑक्सीजन प्लांट की कोई सुविधा नहीं मिली है। स्वास्थ्य कर्मी का कहना है कि अगर इमरजेंसी ऑक्सीजन की जरूरत होती है तो एंबुलेंस बुलाई जाती है। इमरजेंसी में पीएचएसी जेवर कांशीराम या जिला अस्पताल के लिए मरीज को रेफर कर दिया जाता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर लेखराज सिंह की तैनाती है। यहां पर कोविड या आपातकाल से निपटने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है।
आपातकाल स्थिति पड़ने पर उनकी ओर से 100 ऑक्सीजन बेड की तुरंत व्यवस्था करा दी जाएगी और पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी। चारों प्लांट चालू स्थिति में है। अस्पताल के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है।
डॉ. ब्रिगेडियर राकेश गुप्ता, निदेशक जिम्स