भारत

आंतरिक परिवहन सेवाओं में पारदर्शिता लाएगा एम्स

-स्टाफ कारों, बसों और एम्बुलेंस सहित सभी इन-हाउस वाहनों को जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम से किया जाएगा लैस

नई दिल्ली, 23 मई : एम्स दिल्ली ने अपनी आतंरिक परिवहन सेवाओं में सुधार लाने की कवायद शुरू कर दी है। इस संबंध में निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि कोई भी संकाय सदस्य, अधिकारी, सचिवीय कर्मचारी या ड्राइवर तीन साल से अधिक समय तक किसी भी परिवहन सेवा विभाग में प्रशासनिक कर्तव्यों की देखरेख नहीं करेगा। ताकि परिवहन परिचालन संबंधी अक्षमताएं, बिल मंजूरी में देरी और उचित रिकॉर्ड बनाए रखने में चूक को तत्काल समाप्त किया जा सके।

दरअसल, एम्स प्रशासन अपने मरीजों के साथ संस्थान में कार्यरत डॉक्टरों, प्रोफेसरों और अफसरों को निशुल्क परिवहन सेवा उपलब्ध कराता है। इस सेवा के एवज में आउटसोर्स कंपनी को भुगतान किया जाता है लेकिन बिल और ईंधन खपत में गड़बड़ी पाए जाने के बाद सुधार प्रक्रिया शुरू की गई है। एम्स प्रवक्ता डॉ. रीमा दादा ने कहा, निदेशक ने परिवहन संबंधी तमाम समस्याओं के निराकरण के लिए रोटेशनल एडमिनिस्ट्रेटिव असाइनमेंट, जीपीएस ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग का कार्यान्वयन और आउटसोर्स वाहन सेवा प्रदाताओं के लिए जीपीएस डिवाइस की अनिवार्यता का नियम बनाया है। इसके तहत एम्स की स्टाफ कारों, बसों और एम्बुलेंस सहित सभी इन-हाउस वाहनों को जीपीएस ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा। वहीं, जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस डेटा, ईंधन खपत और रखरखाव रिकॉर्ड के साथ वाहन लॉग बुक प्रविष्टियों का मासिक मिलान भी अनिवार्य होगा।

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