नई दिल्ली, 16 अगस्त: राजधानी दिल्ली में शनिवार 17 अगस्त की सुबह 6 बजे से रविवार 18 अगस्त की सुबह 6 बजे तक तमाम चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहेंगी। इस दौरान दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के साथ निजी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर भी हड़ताल पर रहेंगे। हालांकि, निजी और सरकारी दोनों क्षेत्र में मरीजों के लिए आपातकालीन सेवाएं जारी रहेंगी लेकिन वार्ड, इलेक्टिव सर्जरी और लैब जांच संबंधी सेवाएं मरीजों को नहीं मिलेंगी।
इस आशय की जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ आर वी अशोकन ने शुक्रवार को दी। उन्होंने कहा, कोलकाता के आरजी कार की घटना ने अस्पताल में हिंसा के दो आयामों को सामने ला दिया है। महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थानों की कमी के कारण होने वाला बर्बर पैमाने का अपराध और एक संगठित सुरक्षा प्रोटोकॉल की कमी के कारण होने वाली गुंडागर्दी। अपराध और बर्बरता ने देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। आज चिकित्सा जगत और राष्ट्र दोनों पीड़ित हैं। लिहाजा, केंद्रीय क़ानून सहित पांच मांगों के समर्थन में शनिवार को 24 घंटे तक हड़ताल रहेगी। उन्होंने कहा, आईएमए अपने डॉक्टरों और बेटियों के लिए न्याय के इस संघर्ष में राष्ट्र की समझ और समर्थन की मांग करता है।
इससे पहले आईएमए की दिल्ली यूनिट यानी दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के अध्यक्ष डॉ आलोक भंडारी ने वीरवार की रात आठ बजे दरियागंज स्थित कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें राजधानी के तमाम चिकित्सा संगठनों, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशनों, निजी अस्पतालों और अन्य संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बैठक में मौजूद सभी डॉक्टरों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए 24 घंटे तक ‘मेडिकल सेवा बंद’ अभियान चलाने पर सहमति जताई। इसके तहत शनिवार 17 अगस्त की सुबह 6 बजे से रविवार 18 अगस्त की सुबह 6 बजे तक कामरोको हड़ताल आयोजित की जाएगी। यानी दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक से लेकर डिस्पेंसरी और सरकारी अस्पताल से लेकर निजी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर 24 घंटे तक लगातार हड़ताल पर डटे रहेंगे।
क्या है आईएमए की मांगें ?
नीतिगत स्तर पर डॉक्टरों और अस्पतालों पर हिंसा को स्वीकार करने की अनिच्छा को बदलना होगा।
1897 के महामारी रोग अधिनियम में 2023 के संशोधनों को 2019 के अस्पताल संरक्षण विधेयक के मसौदे में शामिल करने वाला एक केंद्रीय अधिनियम मौजूदा 25 राज्य विधानों को मजबूत करेगा। जैसा कि कोविड महामारी के दौरान हुआ था, एक अध्यादेश लागू है।
सभी अस्पतालों का सुरक्षा प्रोटोकॉल किसी एयरपोर्ट से कम नहीं होना चाहिए. अनिवार्य सुरक्षा अधिकारों के साथ अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करना पहला कदम है। सीसीटीवी, सुरक्षाकर्मियों की तैनाती और प्रोटोकॉल का पालन किया जा सकता है।
पीड़ित की 36 घंटे की ड्यूटी शिफ्ट और आराम करने के लिए सुरक्षित स्थानों और पर्याप्त विश्राम कक्षों की कमी के कारण रेजिडेंट डॉक्टरों के काम करने और रहने की स्थिति में पूरी तरह से बदलाव की आवश्यकता है।
समय-सीमा में अपराध की सूक्ष्म एवं पेशेवर जाँच करना तथा न्याय प्रदान करना। बर्बरता करने वाले गुंडों की पहचान करें और अनुकरणीय दंड दें।
पीड़ित परिवार को क्रूरता के अनुरूप उचित और सम्मानजनक मुआवजा दिया जाए।